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दिल की नसों में जमा कैल्शियम का इलाज लखनऊ में होगा आसान

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दिल को खून पहुंचाने वाली नसों में जमा कैल्शियम का इलाज लखनऊ में आसानी से हो जाएगा। इसके लिए केजीएमयू की लॉरी कार्डियोलॉजी विभाग में आधुनिक रोटा एब्लेशन मशीन खरीदेगी। करीब 50 लाख की लागत से मशीन की खरीद प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

कैल्शियम का इलाज

दिल के मरीज गंभीर हालत में राज्य भर से लॉरी में आते हैं। दिल को खून पहुंचाने वाली नसों में रुकावट आने से मरीज की हालत गंभीर हो जाती है। ऐसे मरीजों को एंजियोग्राफी की जरूरत होती है। ब्लॉकेज होने पर एंजियोप्लास्टी की जाती है। इसमें स्टेंट डाला जाता है। जिन रोगियों की नसों में कैल्शियम की अधिकता जमा हो जाती है। रुकावटें लंबी हैं। जिससे एंजियोप्लास्टी नहीं की जा सकती है। ऐसे मरीजों में रोटा एब्लेशन तकनीक कारगर है। इस तकनीक की खास बात यह है कि यह नसों में से कैल्शियम की रुकावट को दूर कर एंजियोप्लास्टी का रास्ता खोलती है। बायपास के खतरे को भी कम करता है।

लारी के प्रवक्ता डॉ. अक्षय प्रधान के मुताबिक ज्यादातर मामलों में एंजियोग्राफी के बाद एंजियोप्लास्टी की जरूरत पड़ती है। कैल्शियम की अधिकता या नसों में रुकावट के कारण एंजियोप्लास्टी नहीं की जा सकती। दिल तक स्टेंट पहुंचाना मुश्किल होता है। एंजियोप्लास्टी की तरह ही रोटा एब्लेशन तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता है। अंतर यह है कि एंजियोप्लास्टी में एक बैलून और स्टेंट को एक तार से जोड़ा जाता है जो नस के अंदर जाता है। इस तकनीक में हीरे की ब्लेड वाली एक ड्रिल शामिल होती है जो तेज गति से घूमती है। इसकी मदद से नसों में जमा कैल्शियम बाहर निकल जाता है। इस तरह नसों के लंबे ब्लॉक पूरी तरह खुल जाते हैं। बाद में स्टेंट डाला जाता है। उन्होंने कहा कि अब केवल एक रोटा एबलेशन मशीन है। लेकिन, वह बूढ़ा है। नई मशीन में काफी बेहतर है। इलाज के दौरान जोखिम भी कम होगा।

 

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