Monkeypox: इस जगह मंकीपॉक्स का आतंक! WHO ने किया मंकीपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित
Monkeypox: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शनिवार को मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने कहा कि यह वैश्विक और क्षेत्रीय रूप से फैल रहा है।
यह यूरोपीय क्षेत्रों में सबसे अधिक जोखिम में है। एक महीने पहले 47 देशों में मंकीपॉक्स के 3040 मामले थे। पांच देशों में इसका सबसे अधिक प्रसार है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा कि मंकीपॉक्स का प्रकोप अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है। एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल लगाया जा रहा है।
एक महीने पहले 47 देशों में मंकीपॉक्स के 3040 मामले थे। इसका प्रचलन पांच देशों में सबसे ज्यादा है। स्पेन में सबसे ज्यादा 3125 लोग हैं। इसके बाद अमेरिका में 2890, जर्मनी में 2268, ब्रिटेन में 2208 और फ्रांस में 1567 मरीज मिल चुके हैं।
अब तक 16,836 केस मिल चुके हैं
यूएस हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की वेबसाइट (22 जुलाई तक) के अनुसार, मंकीपॉक्स का प्रकोप अब 74 देशों में फैल गया है। साथ ही मामलों की संख्या 16,836 पहुंच गई है। वहीं, इसके विस्फोट से पांच लोगों की जान चली गई है।
इन 11 देशों में भी हैं 100 से ज्यादा मामले
सीडीसी के मुताबिक, नीदरलैंड में 712, कनाडा में 681, ब्राजील में 592, पुर्तगाल में 588, इटली में 407, बेल्जियम में 311, स्विट्जरलैंड में 216, पेरू में 143, कांगो में 107 और 105 मामले सामने आए हैं। इज़राइल और नाइजीरिया में 105। हालांकि भारत में इसके तीन मामले अकेले केरल में सामने आए हैं।
मंकीपॉक्स का इतिहास 74 में से 6 देशों में है
सीडीसी के अनुसार, दुनिया भर में अब तक 16,836 मामले सामने आए हैं। इनमें से 16,593 मामले उन देशों में सामने आए, जहां पहले कभी मंकीपॉक्स नहीं हुआ था। मंकीपॉक्स के इतिहास वाले देशों में केवल 243 मामले सामने आए।
अब तक 74 देशों में ये मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 68 ऐसे देश हैं जहां पहली बार मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं, जबकि केवल छह ऐसे देश हैं जहां पहले मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं।
अमेरिका में जल्द लगाई जाएगी वैक्सीन
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में लोगों को मंकीपॉक्स से बचाने के लिए जिनेओस वैक्सीन की दो खुराक दी जाएगी।
सीडीसी के अनुसार, 1.5 मिलियन लोग वैक्सीन के लिए पात्र हैं। हालांकि सरकार ने 3 लाख से ज्यादा मंकीपॉक्स के टीके जनता को बांटे हैं। जल्द ही यह वैक्सीन लोगों को दी जाएगी।
मंकीपॉक्स के खतरों को किया नजरअंदाज
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आपातकालीन समिति इस बात से सहमत थी कि मंकीपॉक्स के प्रकोप के कई पहलू “असामान्य” थे। इसके खतरों को वर्षों से महसूस नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स वायरस कई देशों में तेजी से फैला है, जो पहले कभी नहीं देखा गया था।
मंकीपॉक्स कोरोना की तरह नहीं फैलता
इंडिया मेडिकल टास्क फोर्स से जुड़े केरल के चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि मंकीपॉक्स कोरोना की तरह तेजी से फैलने वाली बीमारी नहीं है। मंकीपॉक्स संक्रमित जानवर के खून, पसीने या किसी अन्य तरल पदार्थ या उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
मंकीपॉक्स अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों को संक्रमित करने के लिए भी पाया गया है। संक्रमित जानवर का अधपका मांस या अन्य पशु उत्पाद खाने से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
मानव-से-मानव में वायरस के संचरण के अब तक बहुत कम मामले सामने आए हैं। हालांकि, संक्रमित व्यक्ति को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है। इतना ही नहीं, प्लेसेंटा को मां से भ्रूण यानी जन्मजात मंकीपॉक्स में भी ट्रांसमिट किया जा सकता है।