मेनोपॉज के बाद खासतौर पर जरूरी है कैल्शियम, नहीं तो बढ़ सकता है हड्डी टूटने का खतरा

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क्या आप मेनोपॉज के बाद स्वस्थ जीवन जीना चाहती हैं? इसलिए आपको डाइट पर ध्यान देने की जरूरत है। विशेष रूप से कैल्शियमरोजाना खाने-पीने में इसे शामिल करना जरूरी है क्योंकि मेनोपॉज के बाद कैल्शियम की कमी तेजी से बढ़ती है। कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। जिस तरह बच्चों के लिए कैल्शियम जरूरी है, उसी तरह मेनोपॉज के बाद महिलाओं के लिए कैल्शियम का पोषण जरूरी है। कैल्शियम न केवल शरीर के विकास के लिए बल्कि शरीर के हर अंग के समुचित कार्य के लिए भी उपयोगी है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कैल्शियम के सेवन पर विशेष ध्यान क्यों देना चाहिए?

मोनोपॉज क्या है?

रजोनिवृत्ति तब होती है जब महिलाओं को मासिक धर्म बंद हो जाता है और मासिक धर्म के बिना 12 महीने हो जाते हैं। महिलाओं में मेनोपॉज 40 या 50 साल की उम्र में होता है।

मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कैल्शियम के सेवन पर विशेष ध्यान क्यों देना चाहिए?

एक रिपोर्ट के मुताबिक जब महिलाएं मेनोपॉज से गुजरती हैं तो शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है, ऐसे में भोजन से कैल्शियम को अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है।

फ्रैक्चर का खतरा बढ़ गया।

मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति को ‘ऑस्टियोपोरोसिस’ कहा जाता है। रजोनिवृत्ति के बाद के पांच वर्षों में, 10 प्रतिशत महिलाओं की हड्डियों का द्रव्यमान कम होने लगता है, जिससे हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है।

कैल्शियम कितना लेना चाहिए?

डॉक्टर की सलाह पर कैल्शियम सप्लीमेंट ले सकते हैं। इस समस्या से बचाव के लिए 17 से 70 वर्ष की महिलाओं को 1000 से लेकर अधिकतम 2000 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए। पनीर, दही, संतरे का रस, edamame (हरा सोयाबीन); मेवे, पत्तेदार सब्जियां और कैल्शियम युक्त आहार भी ले सकते हैं।

विटामिन डी

शरीर में कैल्शियम को अच्छी तरह से अवशोषित करने के लिए विटामिन डी का पर्याप्त सेवन आवश्यक है। डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी के सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।

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