centered image />

डिजिटल फास्टिंग क्या है? जानिए डिजिटल फास्टिंग के फायदे, डॉक्टर क्यों देते हैं ऐसी सलाह?

0 137
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

आपने देखा होगा कि हमारे स्मार्टफोन का उपयोग करने में बिताया जाने वाला समय हर साल बढ़ता जा रहा है। पहले लोग टीवी भी थोड़ा बहुत देखते थे, लेकिन अब लोग टीवी देखते हुए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। स्मार्टफोन की दुनिया में कोई सोशल मीडिया पर गायब है तो कोई वीडियो देखने में डूबा हुआ है. स्मार्टफोन इन दिनों बच्चों से लेकर बुजुर्गों के हाथ में नजर आ रहा है। अब न केवल कैमरे का इस्तेमाल तस्वीरों के लिए किया जा रहा है, स्मार्टफोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। लोग व्लॉग बनाने लगे हैं। अब लोग मन को शांत करने के लिए ट्रिप पर नहीं जाते बल्कि स्मार्टफोन से वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। हमने स्मार्टफोन के इर्द-गिर्द अपनी छोटी सी दुनिया बना ली है। हालांकि, स्मार्टफोन से इतना चिपके रहने की आदत बिल्कुल भी अच्छी नहीं है। ऐसे में डिजिटल फास्टिंग एक अच्छा उपाय बनकर सामने आया है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

डिजिटल उपवास क्या है?

डिजिटल फास्टिंग स्मार्टफोन के इस्तेमाल को एक दिन या एक हफ्ते के लिए सीमित कर देता है। डिजिटल फास्ट में लोग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तय समय के हिसाब से ही करते हैं। इस उपवास में आमतौर पर एक फोन, टैबलेट या लैपटॉप शामिल होता है। डिजिटल फास्टिंग को कई नामों से जाना जाता है जैसे- डिजिटल डिटॉक्स, डोपामाइन फास्टिंग, टेक्नोलॉजी से अनप्लगिंग और डिजिटल सब्बाथ आदि।

डिजिटल उपवास के लाभ

  • डिजिटल फास्टिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आपके रिश्ते और मजबूत होते हैं।
  • आप उत्पादक कार्य कर सकते हैं।
  • आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहे।
  • आपके पास बेहतर चीजों के लिए समय होगा।

डिजिटल उपवास क्यों महत्वपूर्ण है?

समय के साथ लोगों की स्क्रीन से चिपके रहने की आदत लत में बदल गई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो समय के साथ यह लत बढ़ती ही जा रही है। 2019 में भारत में लोगों ने स्क्रीन पर करीब साढ़े तीन घंटे बिताए। 2021 में भारतीयों ने साल के 6 हजार 55 करोड़ घंटे मोबाइल स्क्रीन पर बिताए। 2019 की तुलना में हमने 37 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। फोन पर समय बिताने के मामले में हमारा देश ब्राजील, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और मैक्सिको के बाद दुनिया में पांचवें नंबर पर आता है। अब लोग करीब 6 घंटे तक अपने फोन की स्क्रीन देने लगे हैं।

डॉक्टर डिजिटल फास्टिंग की सलाह कब देते हैं?

वहीं युवाओं के मामले में यह विषय ज्यादा चिंताजनक है। युवा दिन में लगभग 8 घंटे ऑनलाइन बिता रहे हैं। घंटों फोन पर बिताने का सीधा असर सेहत पर पड़ रहा है। सोशल मीडिया की लत लोगों के व्यवहार और स्वभाव को चिड़चिड़ा बना रही है। मानसिक परेशानी बढ़ रही है। जब समस्या हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो डॉक्टर डिजिटल डिटॉक्स या डिजिटल फास्ट की सलाह देते हैं।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.