क्या जानते हो हरड़ सेवन करने के ये जबरदस्त फायदे
आयुर्वेद शास्त्र में हरड साथ प्रकार के बताये गये है. हरड खाने में मधुर, कटू, आम्ल, तिक्ष्न, कयाश, रुक्ष, उष्ण हरड में 50% टैनिक एसिड, गैलिक एसिड का प्रमाण ज्यादा है. हरड के सेवन से अनेक रोगो पर मात की जा सकती है जैसे वात, पित्त, कफ, पिलिया, दस्त, बुखार, खून की खराबी, नेत्र रोग, बवासीर, कुष्ठ रोग, हृदय रोग, जलोदर इन सभी रोगो में इस का लाभ हो सकता है.
दस्त जैसी बिमारी में हरड 50 ग्राम, जीरा 50 ग्राम, काला नमक 10 ग्राम, हींग 10 ग्राम, आजवाईन 50 ग्राम, सौठ 10 ग्राम, इन सभी का चूर्ण बनाकर एक ग्लास मठा में दो चमच मिलाकर सुबह शाम पिणे से दस्त रोग जड से नष्ट होगा.
छोटे बडे बच्चे और इन्सान इन को जब कफ दोष होता है. सास लेने में तफलिक होती है एैसे समय एक छोटी हरड, सौठ, 5 लवंग और पीपल इन सभी का चूर्ण एक चमच शहद में अदा चमच चूर्ण मिलाकर चटाणे से कफ जैसी बिमारी कम होगी.
नेत्र रोगो से अगर कोई परेशान है एैसे मरीज एक छोटी हरड लाल फिटकरी का चूर्ण निर्मली बीज का चूर्ण इन सभी को गुलाब जल में घोलकर वह जल नेत्र में डालने से नेत्र की खुजली, किचड आना, नेत्र लाल होणा, सुजन इन सभी नेत्र रोगो में फायदा मिलता है.
बवासीर बिमारी में छोटी हरड, निबौली, गुड, इन तीनो को एक साथ छाछ में घोले और यह छाछ प्रातकाल में 31 दिन पिये बवासीर में इस का लाभ मिलेगा. दुसरा प्रयोग गोमुत्र में एक हरड भीगोये वह हरड दुसरे दिन सेवन करे इसे भी लाभ मिलेगा.
पिलिया जैसी बिमारी में एक हरड, एक कप गोमुत्र 24 घटे तक भिगोये रखे फीर दुसरे दिन गोमुत्र से हरड को बहार निकाले फिर ताजे गोमुत्र में फिर 24 घंटे भिगोये यह प्रयोग पाच दिन करे छटे दिन वह हरड को अच्छी तरह पानी से धोये फिर उसे गाय के घी में भूनकर उस का चूर्ण सेन्धा नमक में मिलाकर एक कप पानी में वह चूर्ण मिलाकर पिये इससे पिलिया जैसे बिमारी में लाभ मिलेगा.