भारत में 71 फीसदी लोग डाइट का खर्च नहीं उठा सकते, पढ़ें यह रिपोर्ट

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भारत में 71 फीसदी लोग स्वस्थ भोजन नहीं खा पा रहे हैं। नतीजतन, मधुमेह, सांस की बीमारी, कैंसर और हृदय रोग जैसी आहार-जोखिम से संबंधित बीमारियों से हर साल 1.7 मिलियन से अधिक लोग मर जाते हैं।सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) स्टेट ऑफ द इंडियाज एनवायरनमेंट रिपोर्ट के अनुसार, आहार में फलों, सब्जियों और अनाजों की कमी और प्रसंस्कृत मीट, रेड मीट और शक्कर पेय की अधिकता से रोग बढ़ जाता है। स्वस्थ आहार का अभाव भी अधिक वजन या कम वजन का एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है।

दुग्ध उत्पादन से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन

रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य प्रणालियां और प्रथाएं पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में दूध उत्पादन का सबसे बड़ा योगदान है। वहीं अनाज उत्पादन में सबसे ज्यादा पानी, नाइट्रोजन और फास्फोरस का इस्तेमाल हो रहा है।

17 राज्यों में शहरों की तुलना में गांवों में महंगाई ज्यादा है

रिपोर्ट में खाद्य कीमतों का भी विश्लेषण किया गया है। पिछले साल उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक 327% बढ़ा, जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 84% बढ़ा। सीएसई से जुड़े पर्यावरणविद् रिचर्ड महापात्रा का कहना है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि में भोजन का सबसे बड़ा योगदान है।

उन्होंने कहा कि पिछले मार्च और अप्रैल के दौरान 17 राज्यों- पश्चिम बंगाल, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, असम, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, झारखंड, उत्तराखंड, तमिलनाडु। आंध्र प्रदेश में शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों की कीमतें अधिक देखी गई हैं। बिहार, कर्नाटक, केरल, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में मुद्रास्फीति अधिक थी। उन्होंने कहा कि देश ने भोजन के क्षेत्र में प्रगति तो की है लेकिन भोजन स्वस्थ नहीं हो रहा है। देश में कुपोषण अस्वीकार्य स्तर पर है।

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