हेल्थ टिप्स: स्क्रीन टाइम बन रहा है साइलेंट किलर, बढ़ रहा है हृदय रोग का खतरा
यह सच है कि समय सारे घाव भर देता है, लेकिन कभी-कभी कुछ घाव नासूर बन जाते हैं और जिंदगी तबाह कर देते हैं। आप भी जानेंगे इसके खतरे और यह आपकी सेहत को कितना नुकसान पहुंचाता है. बहुत अधिक स्क्रीन पर समय बिताने से आंखों की रोशनी ख़राब होती है। मानसिक तनाव बढ़ता है और विकास भी प्रभावित होता है। ये दुष्प्रभाव जीवन के लिए खतरा नहीं हैं, लेकिन अब शोध से पता चला है कि अगर टाला नहीं गया तो सबसे बड़ा खतरा घातक हो सकता है। जानिए क्या है ‘स्क्रीन टाइम’ से जुड़ा ये नया खतरा?
यह खतरा है ‘एट्रियल फाइब्रिलेशन’ का, जो दिल को प्रभावित करने वाली एक खतरनाक बीमारी है, जिसे ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है। लखनऊ पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के एक सर्वे के मुताबिक, जिस तरह लोग स्क्रीन पर काम करते हुए घंटों बिताते हैं। घर की बजाय बाहर खाना खाएं। हमेशा काम का दबाव महसूस करते हैं. जिसके कारण उसका दिल कमजोर होने लगता है। जिसका उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं होता और उनमें कोई लक्षण भी नहीं दिखता।
स्क्रीन टाइम दिल को कमजोर करता है
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, एक सामान्य और स्वस्थ हृदय में ‘विद्युत संकेत’ दिल की धड़कन को नियंत्रित करते हैं, लेकिन जब इन विद्युत संकेतों में गड़बड़ी होती है, तो हृदय का ऊपरी हिस्सा सिकुड़ने के बजाय कंपन करने लगता है। इससे हृदय गति गड़बड़ा जाती है। पीजीआई लखनऊ की एक स्टडी के मुताबिक, 30 से 40 साल के युवाओं में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।
युवाओं के दिलों में बाधाएं बढ़ती जा रही हैं
इतना ही नहीं, हृदय की धमनियां 6 से 8 सेमी. तक रुकावट देखी जाती है. जबकि पांच साल पहले तक यह अवरोध 1 से 2 सेंटीमीटर था. चिंता की बात यह है कि 70 फीसदी हृदय रोगियों को ब्लॉकेज की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हार्ट में बढ़ती ब्लॉकेज चिंताजनक है। इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
क्यों कमजोर हो रहा है दिल?
लक्ष्य दबाव
कंप्यूटर और लैपटॉप पर घंटों काम करना
डिब्बाबंद बाजार का खाना
शारीरिक गतिविधि में कमी
कैसे करें बचाव?
बीपी के मरीजों को नियमित रूप से दवा लेनी चाहिए
प्रतिदिन 30 मिनट तक कोई भी व्यायाम करें
ज्यादा तला-भुना खाना न खाएं
पिज्जा बर्गर और जंक फूड से दूर रहें
काम का दबाव कम रखें
तनाव को कम करें