देवियों की पूजा में क्यों की जाती है आरती और क्या है सही तरीका? जाने

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सनातन धर्म में पूजा का बहुत महत्व है। हिन्दू मान्यता के अनुसार यदि आप प्रतिदिन एक निश्चित समय पर अपने इष्टदेव की पूजा करते हैं तो ईश्वर की कृपा आप पर बरसती है। भगवान की पूजा के लिए कुछ नियम भी बनाए गए हैं जिससे सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हिंदू मान्यता के अनुसार बिना आरती के आपकी पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में प्रतिदिन अपने इष्टदेव के सामने दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए। आइए जानते हैं भगवान की पूजा करने के सही नियम और विधि के बारे में।

पूजा में कब आरती करें

भगवान की पूजा में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाने वाली आरती हमेशा पूजा के अंत में की जाती है। इसके अलावा आप अपनी सुबह और शाम की पूजा में एक निश्चित समय पर रोजाना आरती कर सकते हैं। हालांकि हो सके तो आप दिन में पांच बार आरती कर सकते हैं।

भगवान की पूजा कैसे करें?

देवी-देवताओं की पूजा करते समय आप अपनी आस्था, विश्वास या पूजा पद्धति के अनुसार दीपक जला सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप एक बत्ती वाला दीपक या पांच या सात बत्ती वाला दीपक बना सकते हैं। इसी तरह अपने इष्ट देवता के अनुसार तेल या घी का दीपक जलाएं। घर या मंदिर में पूजा करते समय चार बार अपने इष्टदेव के चरणों की ओर, दो बार नाभि की ओर और अंत में एक बार उनके मुख की ओर मुख करके आरती पूर्ण करें।

आरती बैठकर भी की जा सकती है

पूजा में हमेशा खड़े होकर आरती करने का नियम है, लेकिन विशेष परिस्थिति में आप बैठकर भी आरती कर सकते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, यदि आप खड़े होने में शारीरिक रूप से असमर्थ हैं या बीमार हैं, तो आप भगवान से क्षमा मांगने के लिए बैठकर आरती कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से की गई आरती सभी दुखों को दूर करती है और देवी-देवताओं से वांछित वरदान प्राप्त करती है।

आरती करते समय इन नियमों का ध्यान रखें

भक्त या अन्य किसी व्यक्ति को आरती करने के बाद सीधे आरती नहीं उतारनी चाहिए। आरती करने के बाद सबसे पहले उस पर जल डालना चाहिए। इसके बाद पूजा का पवित्र जल सभी पर छिड़कना चाहिए। इसके बाद आरती करने वाले व्यक्ति को पहले आरती उतारनी चाहिए, फिर सभी लोगों को आरती देनी चाहिए।

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