सोडा के पीने से शरीर पर दुष्प्रभाव जिसे पढ़ कर आप सोडा कभी नहीं पियेंगे
सोडा शरीर के लिए घातक होता है । इसके दुष्परिणाम थोड़ी देर में नज़र आने लगते है क्योकि सोडा से शुगर की मात्रा बढ़ जाती है जो सीधे स्पाइरल के नीचे जाता है।
10 मिनट बाद
12 औंस सोडा में 10 छोटे चम्मच चीनी होती है जो पुरे दिन के चीनी सेवन के बराबर है । इसमें फास्फोरिक एसिड और अन्य प्रकार के रस मिले होते है जो चीनी की मिठास को कम कर देते है और यह पीने में स्वादिष्ठ लगता है ।
फास्फोरिक एसिड क्या है?
फास्फोरिक एसिड हमारे दांतो की ऊपरी सतह को नष्ट करता है । इसके ज्यादा सेवन से शरीर कैल्शियम ( जो हड्डियों को मजबूत करता है) को पूरी तरह से सोख नहीं कर पाता जिससे हड्डिया कमज़ोर होती हैं।
20 मिनट बाद
सोडा बहुत तेज़ी से पेट की आंतो तक पहुचंता है । जिस कारण शुगर बढ़ जाती है । शुगर के स्तर को नियंतरण करने के लिए शरीर में मौजूद इन्सुलिन फट जाती है । लिवर रक्तपर्वाह में ग्लूकोस की मात्रा को बढ़ाता है और इसका संग्रह करता है । शुगर चर्बी को बढ़ाता है । शरीर को मोटा करता है ।
क्या आप जानते है?
सोडा में मौजूद चीनी या तो उच्च फ्रुक्टोसे कॉर्न सिरप या सुक्रोस है, जो लगभग 50% ग्लूकोस और 50% फ्रुक्टोसे में टूट जाते हैं और रक्त प्रवाह में मिल जाते हैं । जिससे विभिन्न प्रकार की बीमारिया हो सकती हैं । जैसे मोटापा , ह्रदय रोग, मधुमेह, आदि ।
30 मिनट बाद
धीरे धीरे कैफैने का प्रभाव नज़र आता है । आँखों की पुतली फैलने लगती है । रक्त चाप बढ़ जाता है । जिगर में चीनी की अधिक मात्रा होने से ह्रदय और शवसन दर में वृद्धि होने लगती है । अगर आप थके हुए भी है तो भी आपको थकान महसूस नहीं होती क्योकि कैफैने मस्तिष्क के एडनोसिस रिसेप्टर्स को रोकता है ।
40 मिनट बाद
आपका डोपामाइन (यह एक दिमागी हॉर्मोन है, जो शरीर में होने वाली गतिविधियों को नियत्रिंत करता है ।) का स्तर असामान्य रूप से बढ़ता है । यह दिमाग के आनद केन्द्रो पर प्रभाव डालता है । यह एक प्रकार से कोकीन, एम्फ़ैटेमिन और हीरोइन द्वारा उत्पादित जैसा होता है ।
50 मिनट बाद
कैफैन की मूत्रवर्ध्क गूढ़ के कारण पेशाब आता है । यह शरीर को जोड़ने वाले तत्व जैसे मैग्नीशियम, जस्ता और कैल्शियम को खाली करता है । यह तत्व हड्डियों के लिए आवश्यक है । साथ ही साथ एलेक्ट्रोलाइट , सोडियम और पानी की मात्रा भी कम करता है ।
साधारण पेय की तुलना में कैफैन के सेवन के 2 घंटे बाद शरीर के मूत्र उत्पादन में कैल्शियम , सोडियम मैग्नीशियम, पोटैशियम, क्लोराइड और क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ जाता है।
60 मिनट बाद
पाचक ग्रंथि में रक्त शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है । रक्त शर्करा को संतुलित करने के लिए इन्सुलिन फटती है । कैफैन भी मूत्राशय में सक्रिय होने के कारण बार बार बाथरूम जाना पड़ता है ।
इन्सुलिन का महत्व
इन्सुलिन शरीर की कोशिकाओं में उपलबध चीनी या ग्लूकोस की मात्रा को नियंत्रित करता है । खून में चीनी की ज्यादा मात्रा होने पर यह ग्लूकोस को सामान्य स्तर पर लता है।
1 घंटे बाद
शरीर थका हुआ, आलसी, कठोर, मुँह सूखने लगता है मानो प्यास लगी है । दोबारा सोडा इन्सुलिन का महत्व पीने की चाह होती है । खास कर तब जब हमने डाइट सोडा पिया हो ।
डाइट सोडा में पायी जाने वाली कृत्रिम चीनी दिमाग की लत केन्द्रो को प्रभावित करती है । जिस कारण बार बार इसके सेवन का मन करता है ।
अतः सोडा का सेवन शरीर को कोई भी पोषक तत्व नहीं देता अपितु शरीर में उपलब्द पोषक तत्वों को नष्ट करता है । इसका स्वाद अच्छा लगता है । धीरे धीरे शरीर को इसकी आदत हो जाती है । शरीर में विभिन्न प्रकार की बिमारियां घर कर लेती है ।
अधिक जानकारी और नये अपडेट्स पाने के लिए हमारी यह एप्प के लिए यहाँ डाउनलोड पर क्लिक करें