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खतरनाक है प्री-हाइपरटेंशन शरीर दे ऐसे संकेत तो हो जाएं, सावधान

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प्री-हाइपरटेंशन को नजरअंदाज करना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। प्री-हाइपरटेंशन तब माना जाता है जब प्रेशर रीडिंग 120 mm Hg सिस्टोलिक और 80 से 89 mm Hg डायस्टोलिक होता है।खराब जीवनशैली और खराब खानपान के कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आम होती जा रही है। हाई बीपी की समस्या को हाइपरटेंशन कहते हैं। जब शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सामान्य से तेज हो जाता है तो ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। हाई बीपी या हाइपरटेंशन से पहले शरीर में जो बदलाव होते हैं, वह प्री-हाइपरटेंशन की स्थिति होती है। आज यह समस्या पूरी दुनिया में तेजी से फैल रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर 8 में से एक व्यक्ति हाई बीपी की समस्या से जूझ रहा है। आइए जानते हैं प्री-हाइपरटेंशन क्या है और इससे जुड़ी पूरी जानकारी…

प्री-हाइपरटेंशन क्या है?

प्री-हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है, जहां हाई बीपी शुरू हो जाता है। इसे स्टेज 1 हाइपरटेंशन भी कहते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, प्री-हाइपरटेंशन एक चेतावनी संकेत है, जो सही समय पर सही कार्रवाई का संकेत देता है। हालांकि, इस समस्या का कोई खास इलाज नहीं है। जीवनशैली में बदलाव कर आप खुद को हाइपरटेंशन से बचा सकते हैं।

प्री-हाइपरटेंशन के लक्षण क्या हैं?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में प्री-हाइपरटेंशन के लक्षण नजर नहीं आते हैं। जिन लोगों की यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से कई लक्षण प्री-हाइपरटेंशन में भी नजर आते हैं, जिसे हाइपरटेंशन का लक्षण माना जाता है।
जब यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है तो दिल से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए इसे समय पर संभाल लेना चाहिए। प्री-हाइपरटेंशन के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं…

लगातार सिरदर्द
अत्यधिक थकान और चक्कर आना
बेचैनी और नींद महसूस होना
चिड़चिड़ापन या अत्यधिक गुस्सा।

प्री-हाइपरटेंशन के कारण

असंतुलित आहार और खराब जीवनशैली
देर रात भोजन करना
शारीरिक गतिविधि का अभाव
उच्च कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह की समस्याएं
पूर्व उच्च रक्तचाप की रोकथाम
प्री-हाइपरटेंशन (प्री-हाइपरटेंशन से बचाव) की समस्या का कोई सटीक इलाज नहीं है। हालांकि आप अपने लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करके इस समस्या से बच सकते हैं। प्री-हाइपरटेंशन से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें…

जीवनशैली और आहार में सुधार करें।

व्यायाम करें, रोजाना 30 से 40 मिनट योग करें।
बीपी कंट्रोल करने के लिए सिगरेट-शराब से दूर रहें।

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