Health Issues for man & woman over 40
प्रायः यह देखा जाता है कि पच्चीस वर्ष की आयु के बाद स्त्री-पुरूष के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे गिरावट आना शुरू हो जाती है। कुछ लोगों में इससे पूर्व भी यह प्रक्रिया प्रारंभ हो सकती है। इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि व्यक्ति को अपना कैरियर बनाने या जीविकोपार्जन करने के लिए किसी व्यवसाय या नौकरी आदि में लगना पड़ता है। इसके फलस्वरूप लोग खेल-कूद, मनोरंजन, व्यायाम आदि पर उचित अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते। धन कमाने की दौड़-भाग में सही खान-पान, विश्राम आदि की उपेक्षा के कारण स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ना स्वाभाविक है। इन सब कारकों के परिणाम स्वरूप प्राकृतिक नियमों के अनुसार होने वाली शारीरिक क्षीणता की प्रक्रिया और तेज हो जाती है।
शरीर के कमजोर होते चले जाने की यह प्रक्रिया कुछ लोगों में पैंतीस के बाद और कुछ में चालीस की आयु के बाद तेज होती है। व्यक्ति अपने स्वास्थ्य में शारीरिक कमजोरी को अनुभव भी करने लगता है। विशेष रूप से दांत, आांख, पेट, नजला, खांसी और स्नायविक रोग शरीर में उभरने लगता हैं। माता-पिता से मिले पैतृक रोग भी प्रकट होना प्रांरभ हो जाते हैं। बालों में सफेदी छाने लगती है।
इसके विपरित जो स्त्री-पुरूष बाल्यावस्था से ही स्वास्थ्य रक्षाके नियमों का पालन करते हैं या आयु बढ़ने के बाद भी किसी न किसी रूप में खेल-कूद, व्यायाम,, योगासन, प्राणायम, उचित आहार-विहार आदि पर ध्यान देते हैं, उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है। और शरीरिक-मानसिक क्षीणता की गति भी कम होती है। ऐसे लोगों में खेल-कूद या योग प्रशिक्षक, प्राकृतिक चिकित्सक, अध्यापक, शारीरिक श्रम करके जीविका कमाने वाले व्यक्ति जैसे गांवों के मजदूर, किसान आदि होते हैं, बशर्ते उनका आहार-विहार स्वास्थयवर्धक हो। ऐसे लोग प्रायः कम ही बीमार होते हैं। क्योंकि उनकी दिनचर्या प्राकृतिक नियमों के अनुकूल होती हैं।
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