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रोज़ कमर दर्द से परेशान है तो इन उपाय से कर सकते हैं ठीक

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लाइफस्टाइल:- आजकल ज्यादातर लोगों में कमर दर्द की समस्या बढ़ती जा रही है, खासकर बच्चों और किशोरों में। इसके लिए कई वजहें जिम्मेदार हो सकती हैं, जैसे कि खेलकूद के दौरान चोट लगना, जॉइंट्स पर लगातार प्रेशर पड़ना या फिर लंबे वक्त तक एक ही पोजिशन में बैठे रहना। कुछ मामलों में रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।

हाल ही में एक स्टडी आई है जिसमें शोधकर्ताओं ने कमर दर्द और स्मोकिंग और ऐल्कोहल के बीच कनेक्शन पाया। जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने पाया कि कमर दर्द से पीड़ित किशोर स्मोकिंग और शराब की लत का शिकार हो जाते हैं। इसकी वजह से वे टेंशन, स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी परेशानियों के शिकार हो जाते हैं।

उदाहरण के लिए, 4-15 वर्ष के बच्चे, जो सप्ताह में एक से अधिक बार कमर दर्द का अनुभव करते थे, उन्होंने उन बच्चों के मुकाबले पिछले महीने में शराब और तंबाकू का अधिक सेवन किया, जिन्हें कभी कमर दर्द नहीं रहा।

1- अपने बच्चे को कभी भी बैठने के लिए न कहें। हमेशा बैठे रहना एक अच्छी आदत नहीं है। जितना हो सके उन्हें चलने-फिरने की आजादी दें।

2- आप अपने बच्चों के लिए सबसे बड़े आदर्श हैं, इसलिए ऐसा लाइफस्टाइल बिल्कुल भी न अपनाएं जिससे आपके बच्चों पर बुरा असर पड़े।

3- अपने बच्चों को हमेशा सीधे बैठने की सलाह दें। ध्यान रखें कि आपके बच्चे का बैग ज्यादा भारी न हो ताकि उसकी कमर पर ज्यादा बोझ न पड़े।

4- अगर कमर दर्द की वजह से आपका बच्चा सो नहीं पा रहा है या उसकी रोजमर्रा की गतिविधियों पर इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है तो तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें।

5- खेलकूद के दौरान लगने वाली चोटों के बारे में जानकारी प्राप्त करें ताकि कभी ऐसी स्थिति आए तो आप उसे संभाल सकें।

6- जब भी कभी आपका बच्चा किसी नए खेल में भाग लेना चाहे तो पहले उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। मान लीजिए अगर आपके बच्चे ने स्कीइंग, स्केटिंग या फिर स्नोबर्डिंग सीखना शुरू किया है तो उसे सबसे पहले उसे उन खेलों की अच्छी तकनीक, स्टाइल और अन्य संबंधित चीजों के बारे में जानना चाहिए।

7- साइकल या स्कूटर चलाते वक्त बच्चों को हेलमेट, माउथ गार्ड, रिस्ट गार्ड और नी गार्ड पहनना चाहिए ताकि उन्हें चोट न लगे।

8- कार चलाते वक्त बच्चों की सुरक्षा भी काफी जरूरी है। ध्यान रहे कि कार में बच्चा बैठा हो तो उसे सीट बेल्ट जरूर बांधें। छोटे बच्चों का खास ध्यान रखें।

9- बच्चे के किशोरावस्था में पहुंचने पर उसे सही तरह से गाइड करें और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।

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