भगवान शिव के नटराज रूप के चरणों के नीचे कौन है? जानिए क्या है इनका मतलब
हिंदू धर्म में भगवान शिव सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में भगवान शिव के कई रूपों का उल्लेख मिलता है। जिनमें से नटराज भी भगवान शिव का ही एक रूप हैं। भगवान शिव के आनंदमय तांडव रूप को नटराज कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र कहता है कि भगवान शिव का नटराज रूप सृजन और विनाश दोनों का प्रतीक है। आपने भगवान शिव के नटराज रूप की एक मूर्ति देखी होगी, जिसके चरणों में एक व्यक्ति लेटा हुआ है। नटराज के पैरों के नीचे कौन है इसका राज आज हम आपको बताएंगे।
शिव का नटराज रूप क्या है?
धर्म ग्रंथों के अनुसार शिव के रौद्र तांडव को रुद्र कहा जाता है, जबकि शिव के आनंद तांडव को नटराज कहा जाता है। जब शिव भयंकर तांडव करते हैं तो संसार का नाश हो जाता है। जबकि सृष्टि की उत्पत्ति शिव के आनंदमय तांडव से हुई है। धार्मिक ग्रंथों में शिव के नटराज रूप की अनेक व्याख्याएं मिलती हैं। नटराज शिव की चार भुजाएँ हैं, जो अग्नि के चक्रों से घिरे हैं। उनके दाहिने हाथ में डमरू है, जो ध्वनि की रचना का प्रतीक है। नटराज शिव अपने बाएं हाथ में अग्नि धारण करते हैं, जो विनाश का प्रतीक है। नटराज शिव का दूसरा दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है, जो हमें बुराई से दूर रहने की शिक्षा देता है।
नटराज के पैरों के नीचे कौन है?
नटराज शिव का एक पैर उठा हुआ है, जो मोक्ष का प्रतीक है। इसका अर्थ है कि भगवान शिव के चरणों में मोक्ष है। नटराज के चारों ओर की अग्नि इस ब्रह्मांड का प्रतीक है। नटराज के शरीर पर सांप कुंडली की शक्ति का प्रतीक है। नटराज शिव के पैरों के नीचे रौंदा गया राक्षस है, जो अज्ञानता का प्रतीक है। इससे पता चलता है कि शिव ने इस राक्षस का वध किया है। नटराज शिव का संपूर्ण रूप ओमकारा की तरह है, जो ओम का प्रतिनिधित्व करता है।