वास्तुशास्त्र में आज हम बात करेंगे पेड़ काटने के सही समय के बारे में। जो वृक्ष सूख गये हों, जिनकी पत्तियाँ झड़ गयी हों, जिनमें फल-फूल आदि न हों या जो किसी स्थान में बाधक हों या किसी के काम के न हों अर्थात् लोग अवांछित वृक्षों को काट देते हैं। लेकिन वे लोग अपनी सुविधा के अनुसार इन पेड़ों को कभी भी काट देते हैं जो अन्याय है। किसी भी प्रकार के पेड़ आदि को काटने का एक सही समय और सही तरीका होता है, जिसका पालन करना जरूरी है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार मृगशिरा, पुनर्वसु, अनुराधा, हस्त, मूल, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्रपद, स्वाति और श्रवण नक्षत्रों में नक्षत्रों के अनुसार पेड़ों को काटना शुभ होता है। इसके अलावा किसी भी पेड़ को काटने से पहले उसकी पूजा भी करनी चाहिए।
सबसे पहले वृक्ष की गंध, पुष्प और नैवेद्य से पूजा करें। फिर इसके तने को साफ कपड़े से ढक दें और इसके ऊपर सफेद धागा लपेट दें। फिर पेड़ से प्रार्थना करें कि इस पेड़ पर रहने वाले प्राणियों का कल्याण हो, मैं उन्हें नमस्कार करता हूं। आप मेरा उपहार स्वीकार करें और अपना निवास स्थान दूसरी जगह स्थानांतरित कर लें।
साथ ही कहें- हे वृक्षों में श्रेष्ठ! स्वस्थ रहें और घर तथा अन्य कार्यों के लिए मेरी इस पूजा को स्वीकार करें। इस प्रकार पूजा आदि के बाद वृक्ष को जल, शहद और घी से सींचें और वृक्ष की पूर्व से उत्तर दिशा में परिक्रमा करें और उस वृक्ष को अच्छी तरह से काट दें। पेड़ को गोलाकार आकार में काटना चाहिए और फिर उसके गिरने का निरीक्षण करना चाहिए।