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कहीं आप भी तो नहीं कर रहे राक्षसी स्नान, बदल लें आदत

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धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि बड़े-बड़े पर्व और परंपराओं के हिसाब से स्नान का बड़ा महत्व होता है। पवित्रता और स्नान के बीच एक गहरा संबंध है। स्नान करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। एवं शरीर कीटाणुओं से बचा रहता है। हिंदू धर्म में कई ऐसे पर्व आते हैं जिसमें स्नान करना बहुत ही आवश्यक है।अक्सर दुनिया में हर व्यक्ति प्रतिदिन स्नान करता है। लेकिन स्नान करना किस वक्त उचित होता है किसी भी व्यक्ति को इसके बारे में ज्ञान नहीं है। अलग अलग वक्त पर स्नान करना अलग अलग फल देता है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में स्नान को चार भागों में विभाजित किया गया है जिसमें पहला मुनि स्नान, दूसरा देव स्नान, तीसरा मानव स्नान और चौथा राक्षस स्नान है।

 आइए जानते हैं किस वक्त पर स्नान करना उचित होता है

सूर्य उदय होने से बहुत पहले जो इंसान स्नान कर लेता है उसे मुनि स्नान कहते हैं। इस स्नान से घर में सुख शांति

का माहौल रहता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

सूर्य उगने से कुछ देर पहले ही जो इंसान स्नान करता है उसे देव स्नान कहा जाता है।

सूर्य उदय के बाद जो इंसान स्नान करता है उसे मानव स्नान कहा जाता है।

सूर्य छुप जाने के बाद जो व्यक्ति स्नान करता है उसे राक्षस स्नान कहा जाता है ।

राक्षस स्नान से घर में हमेशा अशांति रहती है और परिवार के सदस्य चिंता में रहते हैं।

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