आयकर विभाग के नोटिस का जवाब नहीं देना अब पड़ेगा महंगा, गाइडलाइंस जारी
आयकर विभाग ने ‘जांच’ के लिए उठाए जाने वाले मामलों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत ऐसे करदाताओं के मामले की जांच की जाएगी, जिन्होंने आयकर विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब नहीं दिया है। इसके साथ ही आयकर विभाग उन मामलों की भी जांच करेगा, जहां कानून प्रवर्तन एजेंसी या नियामक प्राधिकरण द्वारा कर चोरी से संबंधित विशिष्ट जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के निर्देश पर आयकर विभाग ने कर चोरी, जीएसटी चोरी, फर्जी जीएसटी पंजीकरण जैसे मामलों की जांच के लिए इस महीने की 16 तारीख से देशव्यापी अभियान शुरू किया था। सीबीडीटी ने उन आयकरदाताओं को नोटिस भेजे थे जिनके दस्तावेज अभियान के दौरान संदिग्ध पाए गए थे। इसके साथ ही व्यक्तिगत करदाताओं को नोटिस भी भेजे गए थे, लेकिन जिन्होंने अब तक जवाब नहीं दिया है, उनके मामलों की अनिवार्य रूप से जांच की जाएगी।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, कर अधिकारियों को 30 जून तक आयकर अधिनियम की धारा 143 (2) के तहत आय में अंतर के बारे में करदाताओं को नोटिस भेजना होगा। इसके बाद आयकरदाताओं को इस संबंध में संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे। नए दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से कहते हैं कि अधिनियम की धारा 142 (1) के तहत जहां नोटिस के जवाब में कोई रिटर्न दाखिल नहीं किया गया है, ऐसे मामले को नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर (एनएएफएसी) को भेजा जाएगा, जो आगे की कार्रवाई करेगा।