उत्तराखंड में नायर नदी जिसे कभी नारद गंगा के नाम से भी जाना जाता था

0 197
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

जब भारत के इतिहास की बात आती है तो भारत के किले और भारत की नदियों का नाम जरूर आता है। जैसे कि किलों की बात करें तो आगरा का किला, प्रयागराज का किला आदि। इसलिए गंगा, भागीरथी, अलकनंदा या सतलज नदी आदि नदियाँ भारत के लिए हमेशा पवित्र रही हैं। हमारे देश में नदियों को भरोसे का स्थान दिया गया है। इन नदियों में नायर नदी भी शामिल है जो उत्तराखंड के लिए बेहद खास मानी जाती है।

नायर नदी को कई लोग नायर नदी भी कहते हैं। मुख्य रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में बहने वाली यह नदी गढ़वाल के दुघटोली रेंज से निकलती है। इस नदी की लंबाई लगभग 100 किमी है और इसे बारहमासी नदी भी माना जाता है। उत्तराखंड से निकलने वाली और वहां से बहने वाली अन्य नदियों की तरह नायर नदी भी बहुत खास है। यह नदी विशेष रूप से पौड़ी गढ़वाल के लोगों के लिए जीवन रेखा का काम करती है। पौड़ी गढ़वाल के लोग इस नदी के पानी का उपयोग अपने खेतों की सिंचाई और पीने के लिए करते हैं। इस नदी के पानी का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए भी किया जाता है।

नायर नदी को उत्तराखंड की पवित्र नदी भी माना जाता है। जब नायर नदी दुघटोली पर्वतमाला से निकलती है, तो यह थोड़ी दूरी पर बहती है और रामगंगा नदी में मिल जाती है। इन दोनों नदियों के संगम पर बहुत से भक्त वहां स्नान और पूजा करने जाते हैं। बाद में ये दोनों नदियाँ व्यास घाट नामक स्थान पर गंगा नदी में मिल जाती हैं। ऐतिहासिक अभिलेखों और प्राचीन हिन्दू शास्त्रों के अनुसार नायर नदी का प्राचीन नाम भी नारद गंगा ही था।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.