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योग की शुरुआत कैसे करें ?

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मनुष्य का शरीर परमात्मा की एक अद्भूत रचना है। इसके अंदर बड़ी विचित्र शक्तियां भरी हुई है। शरीर-शास्त्र के पंड़ितों ने सूक्ष्म निरीक्षण करके कुछ शक्तियों का पता लगाया है सही, पर अभी तक वे उन शक्तियों का पता नहीं पा सके हैं, जिन्हें हमारे पवित्र देश के योगीराज जानते थे।
आसनों के अभ्यासी साधकों के बहुत से चमत्कारों की कथायें हिन्दुओं में प्र्रसिद्ध हैं। आसन आध्यामिक उन्नति के लिये सबसे पहले साधन है। आसन के बिना योग सिद्ध नहीं हो सकता। हमारे ऋषियों और योगियों ने मनुष्य-शरीर के भीतर की रचना का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके आसनों का अविष्कार किया था। आसनों के बल से वे जाड़े में शरीर गर्म और गर्मी में शरीर को शीतल रख सकते हैं। आसनों का अभ्यास करने वालों के लिए कुछ बहुत जरूरी बातें हम आपको बताने जा रहे हैं।

गुरू की खोज

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आसनों के अभ्यासी को सबसे पहले एक गुरु की खोज करनी चाहिए। किसी गुरू की देख-रेख में रहना बहुत जरूरी है। शीर्षासन, सर्वांगासन आदि कुछ आसन ऐसे हैं जिनमें जरा सी गलती हो जने से लाभ के बदले हानि हो जाने की संभावना रहती है। मतलब यह है कि गुरु के अनुभवांें का फायदा उठाते हुए आगे बढ़ना चाहिए। गुरु को समय-समय पर अपना अनुभव बताते भी रहना चाहिये, ताकि गुरू आपको हानि होने से बचाता रहे।

ब्रहमचार्य

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आसनों से पूरा लाभ उठाने के लिये ब्रहमचार्य का पालन बहुत ही आवश्यक है। यथा-संभव, स्त्री सहवास, कुंसंगति, एकांत में गंदे विचारों, कामोत्तेजक कहानियों और श्रृंगार की कविताओं के पढ़ने से बचना चाहिए।

हमारा खाना

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आहार का असर मनुष्य के तन और मन दोनों पर पड़ता है। यदि सदा के लिये शुद्ध और सात्वविक खाने का नियम निभाना कठिन हो, तो कम से कम आसन प्रारंभ करने के बाद कुछ दिनों तक तो आहार सात्विक ही लेना चाहिए। पीछे तो आसनों से उत्पन्न होने वाला लाभ ही तामसी हानिकर भोजनों से अरूचि पैदा कर देगा।
मनुष्य के लिये खाने का सर्वोत्तम पदार्थ फल है। इसके बाद दूध। धार वाला दूध आधिक स्वाथ्स्यकर माना जाता है। फलों में फसल के फल खाने चाहिये। अन्न का आकर बहुत ही कम करना चाहिय।
मसाले तथा तीखे, कड़वे और चटपटे पदार्थों से बचना चाहिए। नशे की चीजें भी छोड़ देनी चाहिए। नशे की चीजें न छूट सके तो भी आसनों का अभ्यास जारी रखना चाहिए। आसनों से पैदा होना वाला लाभ खुद नशे को छुड़ा देगा।
भोजन नियमित टाईम पर करना चाहिए। जहां तक हो सके, चिकने पदार्थ अवश्य खाने चाहिए।
आसनों को अभ्यास भोजन के बाद कभी नहीं करना चाहिए।

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