कृष्ण कथा – अनुभव

0 1,154
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

जब महाभारत में भीष्म पितामह ने प्रतिज्ञा की कि कल पांडवो को मार डालूँगा, तो भगवान धर्म संकट में आ गए एक ओर भक्त भीष्म की प्रतिज्ञा और दूसरी ओर अर्जुन.

भगवान को नीद नहीं आ रही थी यहाँ से वहाँ,टहल रहे थे,आधी से ज्यादा रात हो गई.भगवान ने सोचा प्रतिज्ञा तो अर्जुन ने भी सुनी होगी अर्जुन को भी नीद नही आ रही होगी.जाकर देखता हूँ,भगवान जैसे ही अर्जुन के शिविर में गए,तो देखा अर्जुन तो खराटे मार-मार कर सो रहे है.

भगवान ने कहा -अर्जुन कल तुम्हारी मौत होने वाली है और तुम चैन की नीद सो रहे हो?

अर्जुन बोले – जब मुझे बचाने वाला बेचेन है,तो फिर मै चैन से क्यों न सोऊ.भगवान समझ गए अब मुझे ही कुछ करना होगा,अब भगवान द्रोपदी के पास गए,बोले द्रोपदी तु विधवा हो गई,द्रोपदी हसने लगी,बोली – मै विधवा हो जाउंगी ये चिंता मै क्यों करूँ ?

भगवान बोले – द्रोपदी मेरे साथ चल,अब द्रोपदी को ब्रह्म मुहूर्त में पितामह के शिविर में लेकर चलते है,द्रोपदी की चप्पल आवाज कर रही थी,भगवान बोले द्रोपदी चप्पल उतार लो,आवाज कर रही है,हम विपक्ष के शिविर में जा रहे है,द्रोपदी ने चप्पल उतार ली,और भगवान ने द्रोपदी के चप्पल अपने पीताम्बर में बांध ली.

और खूब सिखा कर भेजते है कि क्या करना है.द्रोपदी घूँघट डालकर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जाती है और पितामह के चरण स्पर्श करती है,तो पितामह के मुख से आशीर्वाद निकलता है पुत्री अखंड सौभाग्यवती भव:अब पितामह जैसा अखंड ब्रह्मचारी आशीर्वाद दे,वह कैसे फलीभूत न होता.

जब पितामह को पता चलता है कि ये द्रोपदी है,तो वे समझ जाते है सब करनी केशव की है.द्रोपदी से पूंछा,केशव कहाँ है?द्रोपदी बोली – बाहर है आपके सैनिक ने अंदर नहीं आने दिया,झट बाहर गए और देखा सामने एक पेड़ के नीचे द्रोपदी की चप्पल सिरहाने रखकर सो रहे थे,भीष्म पितामह जी भगवान के चरणों में गिर पड़े और बोले -प्रभु जिस भक्त की चप्पल आपने अपने सिरहाने रख ली , उस भक्त का कोई बाल भी बंका नहीं कर सकता

भगवान अर्जुन से कहते है मेरे से कोई सम्बन्ध जोड़ लो.अर्जुन कहते है,केशव आपसे सम्बन्ध तो जोड़ लूँ, पर सम्बन्ध का अर्थ तो आप जानते ही है,सम्बन्ध अर्थात दोनों ओर से समानता का बंधन, एक सा बंधन, पर केशव मै न निभा पाया तो ?बस यही डर है.

भगवान बोले – अर्जुन ! तु जोड़ तो सही तुम नहीं निभा पाओगे तो कोई बात नहीं मै तो निभाऊंगा ही,और भगवान ऐसा करते भी है.सुदामा से मित्रता करी और निभाई भी,अर्जुन से सम्बन्ध बनाया अर्जुन से ज्यादा निभाया.द्रोपदी जी ने भगवान के हाथ से जब रक्त निकलता देखा, तो तुरंत अपने आचल को फाड़कर भगवान की अँगुली से बांध दिया,उस समय भगवान द्रोपदी से बोले – बहन ! एक दिन तुम्हारे इस चीर के हर धागे का मोल में चुकाऊंगा,और भगवान ने भरी सभा में ऐसा किया भी था.

“काह करे बैरी प्रबल,जो सहाय यदुवीर,
दस हजार गज बल थक्यो,थक्यो ना दस गज चीर.”

दुशासन में दस हजार हाथियों का बल था,इतने बल से चीर खीचा,पर द्रोपदी के चीर का छोर न पा सका.कहने का अभिप्राय हम कैसे भी है,भगवान हमेशा हमें निभा लेगे,हम निभा पाये या न निभा पाये.जैसे एक किसान है वह गौ को एक खूटे से बांध देता है तो वह बंध जाती है.इसलिए हम कैसे भी करके उनके निकट आ जाए,जैसे हवा है हमें दिखायी नहीं देती पर यदि हम पंखे के नीचे आ जाए,या पास आ जाए तो हमें हवा का अनुभव होने लगता है,इसी तरह भगवान हमें दिखायी नहीं देते परन्तु जब हम उनसे कोई सम्बन्ध जोड़ लेते है उनके निकट आ जाते है तो फिर हमें अनुभव होने लगता है.

Sab Kuch Gyan से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.