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क्या पीरियड्स के समय औरत को मंदिर में पूजा करने से रोकना सही है?

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इस संसार में अगर कोई सबसे पवित्र चीज है तो वह है औरत ! जिस स्त्री की वजह से आज इतने बड़े संसार का निर्माण हुआ है आज उसे ही हमारे समाज में चले आ रहे कुछ अन्धविश्वासो के कारण बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता है |एक छोटी बच्ची जब जवानी की दहलीज पर कदम रखती है तो उसे पीरियड्स शुरू होते है | लेकिन घर के मेम्बर और बाकी लोगो का रिएक्शन ऐसा होता है की पीरियड्स नहीं हुए मानो कोई छुआछूत की बीमारी हो गयी हो |लड़की को जब पहली बार पीरियड्स होते है

तभी से माँ कहने लग जाती है बेटी किचन में पांव मत रखना, ज्यादा भाग दौड़ मत करना, आचार को हाथ मत लगाना ख़राब हो जायेगा और लड़की अगर शादीशुदा हो तो उसे और भी डराया जाता है की अगर वह ऐसा नहीं करती है तो उसके परिवार को कष्ट होगा | सिर्फ इतना ही नहीं लड़कियों को पीरियड्स के दौरान मंदिर में जाने से भी रोक दिया जाता है |

क्या लड़कियों का पीरियड्स के दौरान मंदिर में जाना गलत है ?

अरे मूर्खो ! भगवान ने इस सुन्दर संसार को बनाया है और हमारे शरीर में होने वाली सभी क्रियाओ को भगवान ने बनाया है| पीरियड्स आना एक प्राकृतिक क्रिया है और अगर पीरियड्स की क्रिया नहीं होती तो कोई भी स्त्री कभी भी बच्चे को जन्म नहीं दे पाती | आप ये बताओ जो चीज बनाई भगवान ने है वह भगवान को कैसे अपवित्र कर सकती है |एक तरह तो हम यह कहते है की लड़की को पीरियड्स के दौरान मंदिर में नहीं जाना चाहिए

और वही दूसरी तरफ उसी लड़की को पीरियड्स नहीं होते है तो उसे बाँझ कहकर उसका जीना हराम कर देंगे |दोगले इंसानों पहले ये तो तय करलो की करना क्या चाहते हो | सभी औरतो से यह कहना चाहता हूँ की इस अन्धविश्वास को यही रोक दे और अपनी बेटियों को ऐसी शिक्षा नहीं दे नहीं तो अगली पीढ़ी को वो भी यही शिक्षा देंगी और यह अन्धविश्वास हमेशा यू ही चलता रहेगा |

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