centered image />

गीता ज्ञान – अध्याय 8 शलोक 8-11

0 836
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

हरे कृष्ण। अर्जुन का सवाल था कि निश्काम भाव से सतकर्म में लगे हुए मनुष्य का अंत में क्या होता है भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि जो मनुष्य अंत समय में मेरा स्मरण करते हुए प्राण त्याग करता है वह मुझे ही प्राप्त होता है इसमें कोई संदेह नहीं है। क्या इस का मतलब ये है कि मनुष्य सारे जीवन चाहे जो भी करता रहे लेकिन अंत समय में भगवान के नाम का स्मरण कर ले तो उसे मोक्ष प्राप्त हो जाएगा।

नहीं ऐसा बिलकुल सम्भव नहीं है। हम अंत समय में मनुष्य को कितनी ही गीता सुना लें कितना ही राम राम कहने के लिये कहते रहें उसके दिमाग़ में ना कोई ग्रंथ की बात जाएगी नाहीं कोई भगवान का नाम निकलेगा। उसके दिमाग़ में विचारों में केवल वही बात चलेगी जो वह जीवन भर सोचता और करता रहा है। राग द्वेश, मोह माया, मान प्रतिष्ठा ज़मीन जायदाद जिसमें भी मनुष्य जीवन भर लग रहा वही अंत समय भी याद रहेगा जोकि सारे दुखों का कारण है।

इसलिये भगवान का संदेश है कि जीवन को परमार्थ में लगाओ भोग विलास की सामग्री अंत में दुखों का कारण ही बनेगी। यदि मोक्ष प्राप्त करना है , परमानन्द की चाह है तो निश्काम कर्म करना ही एकमात्र विकल्प है।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.