चाणक्य नीति: जवानी में इन आदतों से बचें, नहीं तो जिंदगी भर पछताएंगे
आचार्य चाणक्य एक ऐसे विद्वान रहे हैं जो अपनी बुद्धि और ज्ञान से एक पूरे शासन को बदलने की क्षमता रखते थे। उनकी नीति के आधार पर एक साधारण बालक एक बड़े साम्राज्य का शासक बन गया, जिसे हम चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से जानते हैं। चाणक्य द्वारा कही गई बातें आज भी इतनी प्रासंगिक हैं कि उन पर अमल कर जीवन को आसान बनाया जा सकता है। चाणक्य ने सामाजिक जीवन के संबंध में बहुत कुछ कहा और लिखा और उनमें से चाणक्य नीति ग्रंथ बनाया गया।
चाणक्य ने अपनी पुस्तक में कहा है कि युवावस्था जीवन का एक पड़ाव है, जिसके आधार पर हमारा कल तय होता है। इसमें त्रुटि के लिए कोई स्थान नहीं है, क्योंकि यह हमें आगे की सजा के रूप में परेशान करता है। आज हम आपको उन बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे जवानी में दूरी न बनाई जाए तो पछताना पड़ेगा। जानिए इनके बारे में..
समय की बर्बादी
चाणक्य कहते हैं कि युवाओं को जीवन के किसी भी पड़ाव पर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। उनके अनुसार समय बहुत बलवान है और यदि इसके महत्व को नहीं समझा गया तो जीवन में आगे चलकर हमें असंख्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समय का मूल्य सफलता की कुंजी है।
धन का महत्व
चाणक्य कहते हैं कि हमें पैसे बर्बाद करने या इसके महत्व को न समझने की गलती से बचना चाहिए। हम सभी जानते हैं कि पैसा कितना महत्वपूर्ण है। आचार्य चाणक्य के अनुसार, धन को हमेशा बचाना चाहिए, चाहे आप कितने भी अमीर या प्रतिष्ठित क्यों न हों।
आलस्य
आचार्य चाणक्य के अनुसार आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। यदि यह किसी पर हावी हो जाता है, तो सफलता के लिए जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है। युवावस्था में आलस्य जैसी आदतों को हमेशा अपने से दूर रखना चाहिए।
क्रोध
यह कीमत हमें सीधे बर्बादी की ओर ले जाती है। यह सच है कि युवावस्था में क्रोध हम पर हावी हो जाता है, लेकिन इसे नियंत्रित करने वाला ही सफल कहा जाता है