जन्मदिन विशेष: जानिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में 10 दिलचस्प तथ्य
आज पूरे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म-दिवस धूम-धाम से मनाया जा रहा है। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जंयती मनाई जा रही है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टुम्बर 1869 को पोरबन्दर, गुजरात में हुआ था। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। महात्मा गांधी की पत्नी का नाम कस्तुरबा गांधी था, जिनसे महात्मा गांधी नें 1882 ई॰ में शादी की थी।
आपको बता दें कि महात्मा गांधी के चार पुत्र हीरालाल गांधी, देवदास गांधी, मणिलाल गांधी और रामदास गांधी थे।
1: महात्मा गांधी का प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा
महात्मा गांधी का जन्म एक गरीब परीवार में हुआ था। महात्मा गांधी का विवाह केवल 14 वर्ष की आयु में हो गया था। इसलिए गांधीजी का प्रारम्भिक जीवन चुनौतीयों से भरा रहा। महात्मा गांधीजी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर के एक छोटे-से स्कूल में पूरी हुई। बाद में महात्मा गांधीजी नें राजकोट के एक हाई स्कूल में दाखिला लिया। यहीं से गांधीजी की उच्च शिक्षा पूरी हुई। उन्होनें सन् 1887 में अहमदाबाद से मैट्रिक परिक्षा उतीर्ण की। इसके बाद महात्मा गांधी नें भावनगर के शामलदास कोलेज में दाखिला लिया। लेकिन खराब स्वास्थ्य और गृह-वियोग के कारण अप्रसन्न होकर वापस पोरबन्दर लौट आए।
2: गांधीजी दक्षिण अफ्रिका में
गांधीजी सन् 1894 में किसी कानूनी विवाद के संबंध मे दक्षिण अफ्रिका गए। गांधीजी नें अपने जीवन के 24 साल दक्षिण अफ्रिका में ही बिताए। गांधीजी को दक्षिण अफ्रिका में नस्लभेद का सामना करना पडा।
आपको बता दें कि महात्मा गांधीजी ने दक्षिण अफ्रिका में ही एक कुशल राजनीति का पाठ पढ लिया था। ।
इसलिए महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रिका में अन्याय के खिलाफ अवग्ष आंदोलन चलाया था। और फिर सन् 1914 में वापस भारत लौट आए।
महात्मा गांधीजी द्वारा स्वतन्त्रता के लिए चलाए गए प्रमुख आंदोलन
3: चम्पारण और खेडा सत्याग्रह आंदोलन
ब्रिटिश जमींदार भारतीय किसानों को खाद्य फसलों के बजाय नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे। और सस्ती कीमत पर फसलें खरीदते थे, जिससे भारतीय किसानों की हालात बद्तर हो रही थी। भारतीय किसान दिन-प्रतिदिन गरीबी में डूबते जा रहे थे।
इन सब से प्रभावित होकर महात्मा गांधी नें बिहार के चम्पारण और गुजरात के खेडा जगह से अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेडा। इन दोनों आंदोलनों ने अंग्रेजों को झकझोर दिया था।
4: खिलाफत आंदोलन
खिलाफत आंदोलन के जरिय महात्मा गांधीजी नें हिन्दुओं और मुश्लमानों में एकता की भावना जगाई।
खिलाफत आंदोलन में हिन्दु और मुश्लमान एक होकर अंग्रेजों के खिलाफ लडाई लडी। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों की गुलामी से भारत को आजाद करवाना था। इस आंदोलन से भारत को आजादी तो नहीं मिली, लेकिन इस आंदोलन नें आजादी के लिए एक पथ तैयार कर दिया था।
5: आपको बता दें कि महात्मा गांधीजी को अंग्रेजों द्वारा दिए गए सम्मान और मेडल उन्होनें खिलाफत आंदोलन के दौरान वापस लौटा दिए थे।
युद्ध देशकर अपना लिया अहिंसा को
6: युद्ध की विभीषिका देखकर गांधी अहिंसा के रास्ते पर चल पडे। अपनी बात मनवाने के लिए उन्होनें कई बार अनशन को हथियार की तरह प्रयोग किया।
7: अपने चौथे बेटे देवदास की डिलीवरी गांधी ने खुद ही करवाई थी, क्योंकि डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो सका था।
8: 1944 में गांधीजी के 22 दिन के उपवास से अंग्रेजों को लगा कि अब वे नहीं बच पाऐंगे। अंग्रेजों नें उनके अंतिम स्स्कार के लिए चंदन की लकडियाँ भी मंगवा ली थी। लेकिन गांधीजी बच गए थे।
9: नोटों पर महात्मा गांधी की असली तस्वीर है, जो 1945 में लॉर्ड फ्रेडरिक लॉरेंस नें खींची थी।
10: आपको बता दें कि एक हत्यारे नें 30 जनवरी 1947 को नई दिल्ली के बिडला हाऊस में गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। महात्मा गांधीजी की शवयात्रा 7 किमी लम्बी थी, जिससे साथ करीब 11 लाख लोग चल रहे थे और करीब 16 लाख लोग रास्ते में खडे थे।