बड़ी राहत अब निजी केंद्रों में भी ई-वाउचर से गर्भवती महिलाओं को मुफ्त जांच, अल्ट्रासाउंड समेत मिलेंगी अन्य सुविधाएं

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लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार गर्भवती महिलाओं को बड़ा तोहफा देने जा रही है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों सीएचसी पर अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में निजी जांच केंद्रों पर यह सुविधा निशुल्क मिलेगी।

इसके लिए उन्हें ई-वाउचर दिया जाएगा। राज्य में लगभग 873 सीएचसी हैं और लगभग पांच लाख महिलाएं हर महीने प्रसव पूर्व जांच कराती हैं। अधिकांश केंद्रों में अल्ट्रासाउंड मशीनें लगी हुई हैं। लेकिन, कहीं रेडियोलॉजिस्ट की कमी है तो कहीं मशीनों में खराबी है।

ऐसे में गर्भवती महिलाओं को निजी जांच केंद्रों का सहारा लेना पड़ता है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने निर्णय लिया है कि गर्भवती महिलाओं का सीएचसी में पंजीयन कराया जाएगा। अगर वहां किसी कारणवश अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच नहीं हो पाती है तो उन्हें निजी जांच केंद्रों में भेजा जाएगा।

जांच का खर्च सरकार वहन करेगी। इसके लिए आसपास के निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों को सीएचसी से संबद्ध किया जा रहा है। सीएचसी प्रभारी महिला को जांच के लिए ई-वाउचर जारी करेगी। मोबाइल पर प्राप्त इस ई-वाउचर को दिखाकर निजी परीक्षा केंद्रों पर जांच कराई जाएगी और संबंधित केंद्र को सीएचसी द्वारा भुगतान किया जाएगा।
छह हजार तक की बचत

एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में एक बार के अल्ट्रासाउंड की कीमत 1000-1200 रुपये है। चार से पांच टेस्ट पर 6000 रुपए तक का खर्च आता है। नई सुविधा से महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी।
आशा वर्कर गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन करेंगी

आशा कार्यकर्ताओं को ई-वाउचर प्रणाली से भी जोड़ा जाएगा, जो गर्भवती महिलाओं के लिए निजी जांच केंद्रों पर मुफ्त सुविधा के लिए शुरू होने जा रही है। ये कार्यकर्ता गांव की महिलाओं के नियमित संपर्क में हैं। वे गर्भ धारण करते ही महिलाओं का ऑनलाइन पंजीकरण कराती हैं। यह रजिस्ट्रेशन उनकी अल्ट्रासाउंड जांच में काम आएगा।

स्वास्थ्य विभाग ने ई-वाउचर प्रणाली की ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया के लिए भारतीय स्टेट बैंक के साथ करार किया है। उल्लेखनीय है कि यह योजना प्रयोग के तौर पर दो माह पूर्व सीतापुर के लहरपुर व सिधौली व संडीला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व हरदोई में शुरू की गई थी. प्रयोग की सफलता के बाद इसे पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है।

पीपीपी मॉडल टैक्स शेयर

हर स्तर पर जच्चा-बच्चा की देखभाल की जा रही है। गर्भवती महिलाओं व गर्भवती महिलाओं को परीक्षा में किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। रेडियोलॉजिस्ट की संख्या बढ़ाई जा रही है। मशीनें भी लगाई जा रही हैं। जहां सुविधा नहीं है वहां पीपीपी मॉडल अपनाया जा रहा है। ई-वाउचर की व्यवस्था भी पीपीपी मॉडल का एक हिस्सा है। साथ ही गर्भवती महिलाओं की समय पर जांच की जाएगी। उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी

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