नीम की छाल का पानी उबालकर स्नान करना होता है बहुत फायदेमंद, जानिए इसके औषधीय गुण जो आ सकते है आपके काम
हर कहीं नीम का वृक्ष मिल जाता है यह पूजनीय वृक्ष भी है इसको देवी का प्रतीक भी मानते हैं यह एक अत्यंत ही औषधीय वृक्ष है इसकी जड़ों तले पत्तों से लेकर फल-फूल सभी का उपयोग चिकित्सा शास्त्र में किया जाता है हमारे
भारत में अनेक औषधीय वृक्ष है नियम उनमें से ही एक है यह शीतल छाया देने के साथ ही रोगाणुओं को भी नष्ट करता है चर्म रोग हो जाने पर इसकी छाल कि पानी को उबालकर उस से स्नान किया जाता है नीम की पत्तियों को भी
उबाल सकते हैं नीम की छाल को घिसकर फोड़े फुंसी आदि पर लगाने से आराम मिलता है यह एक रोगाणु नाशक है इसलिए इसकी पत्तियों को अनाज के साथ रखने से उन में कीड़े नहीं लगते हैं एक नीम के अनेक उपयोग है इस
कारण ही है सम्माननीय वृक्ष है नीम में एक फल लगता है छोटा सा जिसको निबोली कहा जाता है निंबोली से तेल निकाला जाता है
यह तेल बालों के लिए लाभदायक होता है इससे बालों का झड़ना सफेद होना आदि रोगों का दमन होता है निंबोली का तेल हाथ पैरों में लगाने से कीटाणुओं से खतरा नहीं रहता है दाद खाज खुजली में यह लगाया जा सकता है नीम का
एक दूसरा गुण यह है कि जब मच्छर अधिक हो तो इसकी पत्तियों का धुआं किया जाता है जो आज भी साधारणतया गांव देहातों में अधिक प्रचलित है इसका धुआं मच्छरों को दूर भगाता है नीमच कितना महत्वपूर्ण है यह अंदाजा तो
इससे ही लगाया जा सकता है कि नीम का उपयोग साबुन बनाने में भी किया जाता है अनेक साबुन में नीम का प्रयोग आयुर्वेदाचार्य करते हैं नीम की पहनी को दातुन के रूप में इस्तेमाल करते हैं इसको आगे की तरफ से थोड़ा दबा कर
उसको दातुन किया जाता है अनेक दंत मंजन होने में भी नीम का उपयोग किया जाता है मुंह के सारा मैल खत्म करके शुद्धि करता है