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विधार फुल के आयुर्वेद अनोखे फायदे, जो आप ने नही सुने होंगे

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विधार फुल को आयुर्वेद में एक बहुउपयोगी वनस्पती माना गया है. विधार फुल एक जडी बुटी बनकर काम करती है. विधार फुल मेधा, बल, अग्नि, कडवा, चरपस, कसैला, स्वर, कान्ती, स्निग्ध है. विधार फुल से इतने रोगो से मिलती है मुक्ति त्वचा, दस्त, मिर्गी, एनीमिया, पेट के किडे, मधुमेह, खांसी, सुजन, बवासीर, गोनोरिया, मूत्र की समस्या एैसे कई रोगो पर विधार का फुल लाभदायक है.

विधार फुल का उपयोग बल बुद्धि बढाने में भी किया जाता है. विधार फुल के साथ असगंध, पिसाछना चूर्ण समान मात्रा में लेकर इसे दुध के साथ घी और शक्कर मिलाकर सुबह शाम खाने से शरीर बलिष्ठ, सुडौल और बुद्धिवान बनता है और शुक्रधातू गाढी बनती है. विधार फुल के जड को सुखाकर उसका चूर्ण निकाल कर उस में थोडा शहद मिलाकर सुबह शाम 2 महिने सेवन करने से शरीर का बल, बुद्धि, स्मरणशक्ती बढने में मदत होती है.

अपचन, मन्दाग्नी, कब्ज रहने पर आमवात जैसा रोग पैदा होता है. आमवात जैसे रोगो को खत्म करणे के लिये विधारा की जड का चूर्ण 50 ग्राम, सोठ 50 ग्राम चूर्ण लेकर एक एक चमच सुबह साफ और ताजे पानी में मिलाकर उसे पिने से आमवात जैसी बिमारी हमारे शरीर से दूर रहती है और मन्दाग्नी व अपचन के परिणाम नष्ट हो जाते है.

फोडे, जख्म, घाव, सुजन होने पर विधार के पत्तो पर एरंड का तेल मिलाकर हल्का गर्म कर के फोडे, जख्म, घाव, सुजन वाली जगह पर लगाने से ये सब ठीक होते है. विधार के जड में 1 लीटर दुध मिलाकर उसे पका ले और उस में घी मिलाकर रख दे. भोजन होने के बाद 20-21 ग्राम की मात्रा में खाने से वीर्य रोग मिट जाता है.

मूत्र रोग में पेशाब की जलन और दर्द होना यानी पेशाब की मात्रा कम होती है. विधारा फुल पेशाब को बढाने में मदत करता है और पेशाब की जलन में रहात दिलाती है.

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