ज्ञानवापी विवाद: व्यास तहखाना में नमाज के खिलाफ याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट कल सुनाएगा फैसला.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ज्ञानवापी परिसर में व्यास तहखाना में नमाज अदा करने की अनुमति देने वाले वाराणसी जिला अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा। आपको बता दें कि ठीक 31 साल बाद फरवरी की शुरुआत में ज्ञानवापी परिसर में पहली बार पूजा की गई. इस मस्जिद में चार ‘तहखाने’ हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय आया है जब पिछले महीने यानी 31 जनवरी को वाराणसी के जिला जज ने अपने आदेश में ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी हिस्से के तहखाने में पूजा की इजाजत दी थी.
साथ ही इसके लिए अधिकारियों को सात दिन के अंदर वादी शैलेन्द्र कुमार पाठक व्यास एवं श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित पुजारी द्वारा मूर्तियों की पूजा कराने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि मामले के मुताबिक, शैलेन्द्र कुमार पाठक के दादा पुजारी सोमनाथ व्यास 1993 तक वहां पूजा-अर्चना करते थे, जिसके बाद अधिकारियों ने बेसमेंट को बंद कर दिया।
2 फरवरी को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी अदालत के 31 जनवरी के आदेश पर रोक लगाने की मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी, जिसने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रार्थना करने की अनुमति दी थी।
उच्च न्यायालय ने मस्जिद समिति को 17 जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिकाओं में संशोधन करने के लिए 6 फरवरी तक का समय दिया था, जिसके परिणामस्वरूप 31 जनवरी का आदेश पारित किया गया।
12 फरवरी को, अदालत ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति की अपील पर सुनवाई की, जिसमें वाराणसी जिला न्यायालय के 31 जनवरी के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने हिंदुओं को मस्जिद-व्यास जी का तहखाना के दक्षिण तहखाने में प्रार्थना करने की अनुमति दी थी।