जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में जल का स्रोत किस दिशा में होना चाहिए
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। उत्तर-पूर्व दिशा को भगवान की दिशा माना जाता है और इसलिए यह सबसे शुभ दिशा है। आइए जानते हैं घर में जल का स्रोत किस दिशा में होना चाहिए।
वास्तुशास्त्र में दिशाओं का बहुत महत्व है और सभी को इनके आधार पर काम करने की सलाह दी जाती है। सही दिशा में किया गया कार्य भी सार्थक और वांछित परिणाम देता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। उत्तर-पूर्व कोने को भगवान की दिशा माना जाता है और इसलिए यह सबसे शुभ है। किसी भी घर में मध्य उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा को ईशान कोण कहा जाता है।
जल का स्रोत किस दिशा में होना चाहिए?
पानी का स्त्रोत उत्तर दिशा में रखना बहुत शुभ होता है। प्राचीन काल में जब कुएँ पानी का मुख्य स्रोत थे, तब कुएँ भी इसी दिशा में खोदे जाते थे। अब बोरिंग का जमाना है इसलिए किसी भी भवन में इसी दिशा में बोरिंग कराना सर्वोत्तम है। यदि भूमिगत जल टैंक का निर्माण कराना हो तो उसका निर्माण भी इसी दिशा में करना चाहिए। इस दिशा में पानी रखना भी उत्तम होता है, जो लोग पीने के पानी के लिए बर्तन आदि रखते हैं उन्हें भी इसी दिशा में रखना चाहिए। वैसे तो जल के देवता वरुण हैं, जिनकी दिशा पश्चिम है, लेकिन उत्तर दिशा जल स्रोत के लिए सबसे लाभकारी मानी जाती है। यदि किसी परिसर में पानी का स्त्रोत बनाने के साथ-साथ गाय और उसके बछड़े को कुछ दिनों के लिए रख दिया जाए तो परिसर में कोई भी काम बिना किसी रुकावट के हो जाता है।