चिंताजनक: अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में 30 लाख बच्चे समय से पहले पैदा हुए

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जलवायु परिवर्तन के कारण उच्च तापमान के संपर्क में आने से बच्चों के समय से पहले जन्म लेने का खतरा 60 प्रतिशत तक बढ़ गया है। फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में हर घंटे औसतन 345 नवजात शिशु समय से पहले पैदा होते हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा साबित हो रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में भारत में 30 लाख से ज्यादा बच्चों का जन्म समय से पहले हुआ। देश में समय से पहले जन्म दर 13 फीसदी है. यानी हर 13वां बच्चा समय से पहले पैदा होता है। हैरानी की बात यह है कि दुनिया में हर पांचवां प्रीमैच्योर बच्चा भारतीय है। 2020 के दौरान वैश्विक स्तर पर पैदा हुए समय से पहले जन्मे बच्चों में से 22 प्रतिशत से अधिक भारतीय थे।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसकी वजह से अब पहले से कहीं ज्यादा मांओं को अपने नवजात शिशुओं को लेकर डॉक्टरों और अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। दुनिया भर के बच्चे इसका सामना कर रहे हैं. विश्व स्तर पर, हर दो सेकंड में एक नवजात शिशु का जन्म समय से पहले होता है। इसी तरह हर 40 सेकंड में इनमें से एक बच्चे की मौत हो जाती है.

परिणाम खतरनाक साबित हो सकते हैं

साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, समय से पहले जन्म लेने के भविष्य में खतरनाक परिणाम हो सकते हैं और बच्चों को वयस्क होने तक कई कठिन स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों से गुजरना पड़ सकता है। समय से पहले जन्म तब होता है जब भ्रूण का जन्म गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले हो जाता है। यदि गर्भावस्था के 40 सप्ताह के बाद बच्चे का जन्म होता है तो वह जन्म सामान्य माना जाता है। शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि बच्चों के भविष्य को जलवायु संबंधी बीमारियों से बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है

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