फ्लेक्स फ्यूल क्या है? कैसे सस्ता होगा कार, बाइक, स्कूटर चलाना, सरल शब्दों में समझें

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भारत बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करता है। भारत की अधिकांश आवश्यकता आयातित कच्चे तेल पर निर्भर है। लेकिन, भारत सरकार इस निर्भरता को कम करने के लिए वाहन निर्माताओं को ऐसे इंजन बनाने के लिए कह रही है जो फ्लेक्स ईंधन पर चल सकें। यानी आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल कम करना चाहिए और फ्लेक्स फ्यूल का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। इसके तीन बड़े फायदे होंगे। पहला, सरकार को कम कच्चा तेल आयात करना होगा, दूसरा, फ्लेक्स फ्यूल मौजूदा पेट्रोल/डीजल की कीमतों से सस्ते दामों पर उपलब्ध होगा और तीसरा, फ्लेक्स फ्यूल से वायु प्रदूषण कम होगा।

फ्लेक्स फ्यूल क्या है?

फ्लेक्स-फ्यूल को पेट्रोल-डीजल के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। यही कारण है कि इसे वैकल्पिक ईंधन भी कहा जाता है। इसे पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण से तैयार किया जाता है। इसे अल्कोहल बेस फ्यूल भी कहा जाता है क्योंकि इसमें इथेनॉल का इस्तेमाल होता है, जो गन्ना, मक्का जैसी फसलों से तैयार होता है। फ्लेक्स फ्यूल इंजन भी पूरी तरह से पेट्रोल या इथेनॉल पर चल सकते हैं। यानी अगर किसी कार में फ्लेक्स फ्यूल इंजन लगा है तो आप उसके टैंक में पेट्रोल या इथेनॉल भरकर चला सकते हैं।

हाल ही में, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने ‘इथेनॉल एडॉप्शन – फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल्स इन इंडिया’ पर एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें पीवी सेगमेंट के कई दोपहिया निर्माताओं ने भाग लिया। इसमें मारुति सुजुकी ने भी हिस्सा लिया। इसने वाहनों को पेश किया, जिन्हें अगले दो-तीन वर्षों में फ्लेक्स फ्यूल विकल्प के साथ बाजार में लाया जा सकता है। इवेंट में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने फ्लेक्स फ्यूल पर चलने वाली मारुति वैगनआर का भी अनावरण किया, जिसे जल्द ही लॉन्च किया जा सकता है।

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