घर में मौजूद वास्तु दोष से हो सकती हैं ये बीमारियां, जानिए क्या कहता है वास्तु नियम
अगर वास्तु शास्त्र में वास्तु के नियम ध्यान में रखते हुए घर बना हो तो घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा और खुशियां बनी रहती हैं। आजकल इमारतें बहुत तेजी से बन रही हैं और पहले की इमारतों की तुलना में बहुत सुंदर और आकर्षक होती जा रही हैं। इन भवनों को बनाते समय अक्सर वास्तु नियमों का पालन नहीं किया जाता है। जिससे वास्तु दोष बनता है। घर में वास्तु दोष के कारण घर के सदस्यों को तरह-तरह की बीमारियां परेशान करने लगती हैं।
वास्तुदोष से मुक्त किसी भी स्थान को बनाने के लिए चारों दिशाओं और चारों कोणों का संतुलन आवश्यक है। अगर वास्तु के नियमों का ठीक से पालन किया जाए तो घर में रहने वाले सभी सदस्य खुश और स्वस्थ रहते हैं। आइए जानते हैं वास्तु के नियमों के अनुसार घर का निर्माण न करने पर क्या-क्या बीमारियां हो सकती हैं।
पेट का रोग
वास्तु शास्त्र में उत्तर-पूर्व दिशा का विशेष महत्व है। यह दिशा जल तत्व से संबंधित है। मानव शरीर में जल तत्व का विशेष महत्व है। व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी से कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं। वास्तु नियमों के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा बहुत ही सौम्य और स्वच्छ होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार इस दिशा में कभी भी किचन नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में जिस भवन में किचन बना होता है वहां रहने वाले लोगों को पेट संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
अनिद्रा का शिकार
अनिद्रा का कारण भी वास्तु में स्पष्ट रूप से बताया गया है। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की पूर्व और उत्तर दिशा हल्की और नीची होनी चाहिए। वहीं दक्षिण और पश्चिम दिशा में भारी और लंबा होना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में यदि पूर्व दिशा में भारी तथा पश्चिम दिशा में बहुत हल्का निर्माण हो तो वहां रहने वाले लोगों को अनिद्रा का शिकार होना पड़ता है।
सिरदर्द, थकान और बेचैनी के कारण
यदि घर में रहने वाले सदस्य अग्नि कोण या उत्तर वैद्य कोण में सो रहे हों या उत्तर दिशा में सिर और दक्षिण दिशा में पैर करके सो रहे हों तो उन्हें हमेशा सिर दर्द, अनिद्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
दिल की बीमारी
जिन लोगों को ह्रदय संबंधित रोग है उन्हें दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार, हल्की दीवार और खुली जगह बनानी चाहिए। इसलिए हमेशा प्रवेश द्वार को खाली नहीं छोड़ना चाहिए।