मगरमच्छों से इस आदमी की है गहरी दोस्ती, हर मगरमच्छ इसके आगे यूं लगते हैं दुम हिलाने
रामचंदर मुंह से एक अनोखी सीटी बजाते हैं तो तिराकोल नदी के पानी में रहने वाले कई मगरमच्छ तैरकर उनकी तरफ तैरकर आने लगते हैं। एक या दो नहीं बल्कि तकरीबन एक दर्जन मगरमच्छ उनसे मिलने आ जाते हैं। रामचंदर का इन मगरमच्छों से काफी पुराना रिश्ता है।
करीब एक दशक से रामचंदर तिराकोल नदी में मगरमच्छों को खाने के लिए चिकन का मीट दे रहे हैं। वह हफ्ते में दो बार उन्हें खाना खिलाते हैं। बस इनके बीच यहीं से गहरी दोस्ती हो गई। वे कहते हैं, ‘इस जगह पर वर्तमान में कम से कम 25 मगरमच्छ हैं। कई मगरमच्छ बारिश के बाद नदियों के अलग-अलग हिस्सों में चले जाते हैं।’
सिर्फ इतना ही नहीं, यह मगरमच्छ अपने मास्टर के इशारों पर किसी पालतू कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि ये मगरमच्छ पानी की कितनी ही गरहाई में क्यों न हों, ये अपने मालिक की एक पुकार पर बाहर चले आते हैं। इन मगरमच्छों को उसके मालिक ने स्पेशल ट्रेनिंग दी हुई है।
मास्टर जब इन्हें सीटी लगाता है तो बारी-बारी कर कई मगरमच्छ पानी के बाहर निकल आते हैं। जी हां, गोवा के सिंधुगर्ग जिले के इंसुली गांव में बच्चा-बच्चा इस शख्स और उसके पालतू मगरमच्छों के बारे में जानता है।
मीडिया रिपोर्ट्स की माेनें तो यहां इंसुली गांव निवासी 38 साल के रामचंद्र कई साल से इन मगरमच्छों की देखभाल कर रहे हैं। अब ये मगरमच्छ उनके साथ इतने फैमीलियर हो चुके हैं कि वे उनके इशारों पर नाचते है।
क्या कभी आदमखोर मगरमच्छों को पालतू जानवर भी बनाया जा सकता है..? आप कहेंगे कि यह कैसा मजाक है। आपकी नजर में ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता क्योंकि आपको लगता है कि जिसकी प्रवृत्ति ही मांसाहारी जानवार वाली हो वो कभी पालतू बन ही नहीं सकते।
लेकिन आज हम आपको इसका अपवाद पेश करने जा रहे हैं। जी हां, आज हम आपको ऐसे पालतू मगरमच्छों के बारे में बताएंगे जो अपने मालिक के प्रति बेहद वफादार है।
रामचंदर मुंह से एक अनोखी सीटी बजाते हैं तो तिराकोल नदी के पानी में रहने वाले कई मगरमच्छ तैरकर उनकी तरफ तैरकर आने लगते हैं। एक या दो नहीं बल्कि तकरीबन एक दर्जन मगरमच्छ उनसे मिलने आ जाते हैं। रामचंदर का इन मगरमच्छों से काफी पुराना रिश्ता है।