महात्मा गाँधी द्वारा हुई ये 5 गलतियाँ जिसकी वजह से आज भी नुक्सान उठा रहा है भारत
Facts : महात्मा गांधी जिन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। महात्मा गांधी ने पूरे विश्व को अहिंसा और शांति का संदेश दिया लेकिन उनसे कुछ गलतियां भी हुई। भारी गलतियां, जिनका खामियाज़ा आज पूरा देश भुगत रहा है। आज हम गांधी जी की इन्हीं सबसे बड़ी पांच गलतियों के बारे में जानेंगे।
नेता जी को कांग्रेस से बाहर करना
देखा जाए तो गांधी जी और नेता जी दोनों ही भारत को अंग्रेजों से आजाद कराना चाहते थे, पर दोनों की कार्यशैली में बहुत अंतर था। वर्ष 1939 में नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव के समय नेता जी बीमार हो गए और गांधी जी ने इसी बात का फायदा उठाकर अपने उम्मीदवार के रूप में सीता रमैया को खड़ा कर दिया। लेकिन इसके बावजूद नेता जी ने सीता रमैया को भारी वोटों से हरा दिया।
कहा जाता है कि उस समय कांग्रेस की अधिकतर लीडरशिप महात्मा गांधी की बजाएं नेता जी के समर्थन में थी। इस बात की भनक जब गांधी जी को लगी तो उन्होंने राजनीति के दांव पेज खेलकर नेताजी को ही कांग्रेस से बाहर करा दिया। इसके कारण ही अलग-थलग पड़ने पर नेताजी को जापान में जाकर आजाद हिंद फौज का गठन करना पड़ा।
शहीद भगत सिंह की फांसी पर नरम रुख
गांधी जी ने भगत सिंह के केस पर कभी गंभीरता दिखाई ही नहीं। गांधी जी चाहते तो फांसी रोक सकते थे। गांधी जी ने भगत सिंह जी की फांसी को लेकर तत्कालीन वायसराय को केवल एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने लिखा कि मृत्युदंड एक असाध्य क्रिया है। यदि इसमें कहीं से भी कोई गुंजाइश है तो मैं आपसे विनती करता हूं कि कृपया इस फैसले को पुने: समीक्षा कर निलंबित किया जाए।
पत्र की भाषा से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि गांधीजी शहीद भगत सिंह की फांसी को रोकने के लिए कितने गंभीर थे। यदि गांधी जी चाहते तो फांसी के खिलाफ आंदोलन कर सकते थे या फिर उन लोगों का साथ दे सकते थे जो भगत सिंह और उनके साथियों की फांसी के विरोध में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। पर उन्होंने सिर्फ पत्र लिखने और विनती करने के अलावा कुछ नहीं किया।
नेहरू को प्रधानमंत्री बनाना
यदि बात की जाए राजगोपालाचारी जैसे क्रांतिकारियों द्वारा लिखे गए लेखों की तो उससे ज्ञात होता है कि उस समय कांग्रेस ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के पद पर पूरे देश की पहली पसंद सरदार वल्लभभाई पटेल थे। परंतु दुर्भाग्य से गांधी जी ने सब दरकिनार कर नेहरू को प्रधानमंत्री के पद पर बिठा दिया।
ऐसा उन्होंने अपनी ज़िद को पूरा करने के लिए किया था। इतिहास गवाह है कि नेहरू के प्रधानमंत्री के पद पर बैठते ही जन्म लिया एक वंशवाद ने जो कि अब तक भारत का पीछा नहीं छोड़ रहा।
1942 का आंदोलन वापस लेना
यह महात्मा गांधी जी की सबसे बड़ी गलती थी, जिसे आज भी पूरा देश भुगत रहा है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से यह साफ हो गया था कि जल्द ही ब्रिटिश हुकूमत घुटने टेककर भारत को आजाद करने वाली है। इस खतरे को भापकर अंग्रेजों ने एक चाल चली और उन्होंने गांधी जी के सामने एक प्रस्ताव रखा कि भारत छोड़ो आंदोलन को वापस लेकर यदि उस समय चल रहे सेकंड वर्ल्ड वॉर में भारत ब्रिटेन का साथ देता है तो भारत को युद्ध खत्म होने पर आजाद कर दिया जाएगा।
गांधी जी ने उनके इस प्रस्ताव को तत्काल मान लिया और भारत छोड़ो आंदोलन वापस ले लिया। इसी बीच अगले पांच वर्षों में अंग्रेजों ने अपने सहयोग से मुस्लिम लीग को मजबूत कर दिया और अंग्रेज जाते-जाते भारत को दो टुकड़ों में बांट गए। यदि गांधीजी उस समय आंदोलन वापस नहीं लेते तो भारत का विभाजन ही नहीं होता।
गांधी जी की विवादित निजी जिंदगी
सत्य के साथ अपने प्रयोग के लिए गांधीजी अपने कमरे में कुंवारी लड़कियों के साथ निर्वस्त्र सोते थे, जिसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब में भी किया है। सरदार पटेल ने इस बारे में गांधी जी को पत्र लिखकर उनके इस प्रयोग को भयंकर भूल बताते हुए इसे रोकने को कहा था।
ब्रह्मचर्य के प्रयोग भी गांधी की उसी हठधर्मिता और अतिवाद का परिणाम थे। जहां वे अपनों को अपनी नजर में विजयी घोषित देखने के लिए स्त्री का वस्तु की बातें प्रयोग करते थे।
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