नौकर ने सेठ को अपनी बीवी की कद्र करना सिखा दिया, एक बार जरूर पढ़ें
“रामलाल तुम अपनी बीबी से इतना क्यों डरते हो? “मैने अपने नौकर से पुछा।।” मै डरता नही सेठ जी अपनी पत्नी की कद्र करता हूँ। उसकी इज्जत करता हूं। नौकर ने कहा। मैं हंसा और बोला-” ऐसा क्या है उसमें। ना सुंदरता ना पढी लिखी। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता साहब। मुझे सबसे अच्छा रिश्ता अपनी पत्नी को लगता है। “जोरू का गुलाम।”मेरे मुँह से निकला। और दूसरी रिश्ते अहम नहीं है तेरे लिए। मैंने कहा।
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नौकर ने बड़े अच्छे से जवाब दिया। सेठ जी मां बाप रिश्तेदार नहीं होते। मां बाप भगवान का रुप होते हैं। उनकी पूजा की जाती है। भाई बहन के रिश्ते जन्मजात होते हैं। दोस्तों का रिश्ता सिर्फ मतलब का होता है। आपका और मेरा रिश्ता भी जरूरत और रुपया का है। लेकिन पत्नी बिना किसी करीबी रिश्ते के होते हुए भी पूरी जिंदगी के लिए हमारे पास आ जाती है। अपने मां बाप और भाई बहन को पीछे छोड़ कर। और हमारी सुख दुख के साथी बन जाती है। जिंदगी की आखरी सांस तक। मैं बड़े ध्यान से उसकी बातें सुन रहा था। नौकर ने आगे कहा। पत्नी अकेला रिश्ता नहीं है। वह सभी रिश्तो का भंडार है।
वह हमारी सारी जिंदगी देखभाल और सेवा करती है। मां जैसा प्यार देती है। मैं अपनी सारी कमाई उसके हाथों में दे देता हूं। मुझे विश्वास है कि वह हर हाल में मेरे घर का अच्छा सोचेगी। पत्नी एक पिता जैसी होती है। पत्नी हमारी गलती होनो पर हमें डाटती है। एक बहन की तरह हमारे लिए खरीददारी करती है। अपनी बात मनवाने के लिए नखरे करती है। बार-बार रूठती है। नई-नई फरमाइश करती है। इस तरह पत्नी एक बेटी की तरह होती है। हमसे सलाह मशवरा करती है। परिवार चलाने के लिए हमें ज्ञान देती है। हमसे झगड़ा करती है। तब पत्नी एक दोस्त की तरह होती है।
वह घर की सारी खरीदारी, लेन-देन, घर गृहस्ती की जिम्मेदारी उठाती है तो वह एक मालकिन जैसी होती है। वह पूरी दुनिया को यहां तक कि अपनी बच्चों को छोड़कर भी हमारी बाहों में आ जाती है। तब वह हमारी प्रेमिका, जीवनसाथी, हमारी प्राण और आत्मा होती है। जो हम पर अपना सब कुछ न्योछावर कर देती है। मैं अपनी पत्नी की इज्जत करता हूं। इसमें क्या गलत है। मैं उसकी बातें सुनकर हिल गया। एक अनपढ़ और गरीब से मुझे जीवन निर्वाह का एक नया अनुभव मिला।