रावण की पाँच आदतें उसकी मृत्यु का मुख्य कारण बनी थी
रामायण का सबसे ताक़तवर खलनायक बताया जाने वाला बलवान रावण मात्र अपने हित के लिए ही जीवन व्यापन करता था वह सबसे श्रेष्ठ एवं महान बनना चाहता था यहाँ तक कि वह देवताओं को भी अपने से नीचा समझता था वैसे रावण शास्त्रों को जानने वाला महान ज्ञानी था लेकिन उसकी बुद्धि धर्म के कार्यों में लगती ही नहीं थी वह किसी देवता की भक्ति करना पसंद ही नहीं करता था।
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इतिहास भले ही रावण को शिव का भक्त बता रहा है लेकिन उसकी भक्ति के पीछे रावण का स्वार्थ छिपा हुआ था सर्वज्ञानी महादेव जानते थे कि यदि रावण के कार्य सिद्ध हुए तो वह इस संसार की काया पलट देगा इसलिए उसे अमर बनने की वरदान ही नहीं दिया। श्री रामचरित मानस अनुसार रावण के अंदर ऐसी पाँच आदतें थी जो उसकी मृत्यु का मुख्य कारण बनी थी।
रावण किसी महिला का सम्मान करना जैसे जानता ही नहीं था वह स्त्रियों से अपना स्वार्थ सिद्ध करता था इसी वजह से रावण को रंभा, सीता और उसकी बहन सर्पणखा से अभिशाप मिला था।
बलवान रावण को खुद की प्रशंसा सुनना अधिक प्रिय था चाहे वह झूठी ही क्यों ना हो, जब रावण के सामने उसके भाई विभीषण ने श्री राम की भलाई की तो यह सुनकर रावण ने अपने भाई को राज से भगा दिया था।
रावण चाहता था कि मदिरा का सेवन करना पसंद करता था लेकिन उसकी दुर्गंध से परेशान होकर उसने शराब के अंदर सुगंध डालना चाहा लेकिन उसका यह सपना पूर्ण नहीं हो सका।
वह भगवान की सत्ता को मिटाने के लिए स्वर्ग तक की सीढ़ियाँ बनाना चाहता था ताकि किसी भी व्यक्ति को स्वर्ग जाने के लिए कठिन तप नहीं करना पड़े।
रावण जानता था कि राम भगवान विष्णु के अवतार है लेकिन इसके बावजूद उसने सीता हरण कर दिया था यही ग़लती उसके मृत्यु का कारण बनी थी।
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