बुध-आदित्य योग वाले लोग जीवन में प्राप्त करते हैं बड़ी सफलता, जानिए वास्तव में कब होता है बुध-आदित्य योग

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सूर्य और बुध एक दूसरे के बहुत करीब हैं। इसलिए हर 10 कुंडली में इन दोनों ग्रहों की युति देखी जाती है। बुध-आदित्य योग सिर्फ सूर्य और बुध की युति होने से ही बुध-आदित्य योग बन जाए, यह आवश्यक नहीं है। बुध सूर्य से अधिकतम 28 डिग्री दूर जा सकता है, उससे अधिक नहीं। अत: समय-समय पर दोनों ग्रह एक ही राशि में युति करते हुए दिखाई देते हैं। जैसे कि इस समय सूर्य और बुध वृष राशि में एक साथ हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि बुध-आदित्य योग बना है। तो कब बनेगा बुध-आदित्य योग?

बुध-आदित्य योग तभी बनता है जब मेष, मिथुन, सिंह और कन्या इन चार राशियों में सूर्य और बुध की युति होती है, बुध अस्त नहीं होता है और यह युति जन्म कुंडली के केंद्र यानी 1, 4, 7, में होती है। 10.

सूर्य राजा है और बुध शासक है। राजा और राजकुमार एक साथ बैठे हों तो मामला राजनीति से जुड़ा होता है। इसका अर्थ है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध-आदित्य योग बनता है वह अपने करियर में बड़े-बड़े काम करेगा, उच्च पद पर पहुंचेगा। सूर्य का अर्थ है नेतृत्व और बुध का अर्थ है बुद्धि। जब बुध-आदित्य योग बनता है तो बुद्धि और नेतृत्व दोनों का योग होता है। अर्थात उस जातक के भीतर एक बुद्धिमान नेता का निर्माण होता है। यहां नेता कोई राजनेता नहीं है, बल्कि किसी भी क्षेत्र में शक्तिशाली स्थिति वाला व्यक्ति है।

बुध-आदित्य योग वाले लोग जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करते हैं। उन्हें सफलता मिलती है। सरकार से लाभ। उसे चारों तरफ से सम्मान मिलता है। वे प्रभावी संचारक बनते हैं।

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