centered image />

मेंहदीपुर बालाजी धाम – जहां भागते हैं भूत-प्रेत

0 1,173
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

घाटे वाले बालाजी धर्मस्थल को मेंहदीपुर बालाजी धाम कहा जाता है

घाटे वाले बालाजी ऐसा देव स्थान है, जहां भक्तों की कामना ही पूरी नहीं होती भूत-प्रेत, मिर्गी, पागलपन से भी निजात मिलती है. पिंकसिटी जयपुर से लगभग 99 किलोमीटर दूर दौसा जिले में स्थित धर्मस्थल को लोग मेंहदीपुर बालाजी धाम कहते हैं. अरावली पर्वत श्रृंखला की घाटियों के बीच होने के कारण लोग इन्हें घाटे वाले बालाजी भी कहते हैं. यह धाम बालाजी के तीन अलग-अलग रूपों-श्रीबालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री भैरव देव के लिए प्रसिद्ध है. कहते हैं कि तीनों मूर्तियां अपने आप जमीन के नीचे से प्रकट हुई हैं. यह ऐसा देव स्थान है, जहां केवल भक्तों की कामना ही पूरी नहीं होती बल्कि भूत-प्रेत, मिर्गी, पागलपन आदि से भी निजात मिलती है.

खाली हाथ नहीं लौटता श्रद्धालु
श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. बालाजी महाराज संकट को दूर करने वाले माने जाते हैं. इसलिए लोग यहां बुरी आत्माओं के प्रकोप, काले जादू के अलावा शारीरिक पीड़ा आदि संकटों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए आते हैं. यहां भगवान बालाजी संकटों को ही नहीं हरते बल्कि उनके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के मन में शीतलता की प्राप्ति होती है. इस स्थान के बारे में प्रचलित है- ‘और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे.’

लोककथा
बहुत साल पहले की बात है. अरावली पहाड़ी की इस घाटी में तीन दिव्य छवियां प्रकट हुई. वहां के मंदिर के पुजारी को श्री बालाजी ने सपने में आकर अपने तीनों रूपों में दान देकर चमत्कारी मंदिर की ओर संकेत किया. जैसे ही पुजारी की आंखें खुलीं, तभी देववाणी हुई और श्री बालाजी ने उन्हें उस दिव्य स्थान के बारे में बताया जहां श्री बालाजी स्वयं विराजमान थे. पुजारी आदेश पाकर तुरंत उस स्थान पर पहुंचा. तभी से उन्होंने सेवा और पूजा शुरू कर दी.

पूरी होती हैं मनौकामनाएं
यहां मौजूद मूर्तियां अरावली के जंगलों में मिली थीं, इस वजह से आज भी इनका बहुत महत्व है. जो भी सच्चे मन से बालाजी से अपनी परेशानियां दूर करने की प्रार्थना करता है, उसकी कामना पूरी होती है. पहले यह स्थान घना जंगल हुआ करता था जो जंगली जानवरों से भरा हुआ था. आज तो यहां हजारों लोग दर्शन के लिए आते हैं. यहां बालाजी को मोतीचूर के लड्डू, भैरव बाबा को उड़द और प्रेतराज को चावल का भोग लगाया जाता है. मंगलवार और शनिवार को विशेष आरती की जाती है. इसमें काफी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. कहा जाता है कि आरती के समय ही कई श्रद्धालु प्रेतबाधा से मुक्त हो जाते हैं.


कैसे पहुंचें
सड़क मार्ग-

सड़क से जाने के लिए जयपुर-आगरा नेशनल हाइवे से मेंहदीपुर बालाजी के लिए सीधी बस मिलती है.

रेलमार्ग-
ट्रेन से जाने के लिए दिल्ली, आगरा, जयपुर, भरतपुर आदि रेलवे स्टेशनों से जाया जा सकता है. स्टेशन पर पहुंच कर यहां से बस या टैक्सी मिल जाती है.

हवाई मार्ग-
दिल्ली, जयपुर और आगरा हवाई अड्डे देश-विदेश से जुड़े हैं. यहां पहुंचकर आपको मेंहदीपुर बालाजी के लिए आसानी से बस-टैक्सी मिल जाएगी.

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.