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जन्माष्टमी स्पेशल:- कल मनाई जायेगी जन्माष्टमी, जानिए सही समय और इसका महत्व

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जन्‍माष्‍टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त:

जन्‍माष्‍टमी की तिथि: तद्नुसार 23 और 24 अगस्‍त.
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्‍त 2019 को रात्रि अंत 03 बजकर 15 मिनट से.
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 24 अगस्‍त 2019 को रात्रि अंत 03 बजकर 18 मिनट तक है।

23 अगस्‍त को अष्टमी दिन में है और रात्रि अंत तक है।

24 अगस्‍त को अष्टमी दिन, में नही है।

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 24 अगस्‍त 2019 की रात्रि 12 बजकर 10 मिनट से.
रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 25 अगस्‍त 2019 को रात्रि 12 बजकर 28 मिनट तक है।

रोहणी नक्षत्र 23 अगस्त 2019 को नही है।

रोहिणी नक्षत्र 24 अगस्त 2019 अगस्‍त को है।

When Is Krishna Janmashtami 2019 Date Day Pooja Muhurat Time

मित्रों इस बार भी जन्माष्टमी को ले कर भ्रम बना हुआ है
23 -8-19 को अष्टमी तिथि रात्रि अंत 03.15 मिनट से लेकर 24.8.19 को 03.18 रात्रि अंत तक मिनट तक है।
जिस कारण जन्माष्टमी 23.8 2019.को मनाना ही श्रेष्ठ होगा क्योंकि मध्य रात्रि व्यपनी अष्टमी भी प्राप्त होगी।

When Is Krishna Janmashtami 2019 Date Day Pooja Muhurat Time
Bal Shree Krishna deity statue

उदाहरण:

कृष्ण जन्माष्टमी निशीथ व्यापिनी ग्राह्या।
पूर्व दिने एवं निशीथ योगे पूर्व ।। (धर्म सिंधु)

केचित अर्द्ध रात्रि एवं मुख्य निर्णायक:।
रोहिणी योगस्तु तने निर्णायसंभवे निर्णायक:

लकर्मणो यस्य यः कालः तत्कालव्यापिनी तिथि: ।
तस्य कर्माणि कुर्वीत ।।
( विष्णु धर्मोत्तर)

चंद्रोदय के समय की अष्टमी तिथि में ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महोत्सव एवं उपवास रखना शात्रोक्त

।। जन्माष्टमी_व्रत निर्णय ।।

When Is Krishna Janmashtami 2019 Date Day Pooja Muhurat Time

गृहस्थियों के लिए जन्माष्टमी व्रत निर्विवाद रूप से 23/8/19 शुक्रवार को ही मनाया जाएगा।

यह व्रत शास्त्रोक्त मतानुसार जिस रात्रि में चन्द्रोदय के समय भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि हो ,उस दिन मनाया जाता है। माताएं मां देवकी के समान पूरे दिन निराहार रहकर व्रत रखती हैं तथा रात्रि में भगवान् के प्राकट्य पर चन्द्रोदय के समय भगवान् चन्द्रदेव को अर्घ्य देकर अपने व्रत की पारणा करती हैं।
भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि में #उदय होने वाले चन्द्रमा के दर्शन सर्वाधिक शुभ माने गए हैं। क्योंकि चन्द्रवंश में इसी चन्द्रोदय के समय भगवान् प्रकट हुए थे।

When Is Krishna Janmashtami 2019 Date Day Pooja Muhurat Time

यह चन्द्र उदय दर्शन का संयोग वर्ष में केवल एक ही बार होता है। इस बार यह संयोग 23 अगस्त शुक्रवार की रात्रि को है।

अतः इसी दिन व्रत करें ।

इससे अगले कई दिनों तक गोकुल में तथा अनेक स्थानों पर भगवान् का जन्मोत्सव मनाया जाता है। क्योंकि गोकुलवासियों को अगले दिन सुबह ही पता चला कि नंद घर आनंद भयो है।और जन्मोत्सव शुरू हो गया।

अत: व्रत 23/8/19 को ही रखें। इसमें कोई विवाद नहीं है।

अतः समस्त पुजारीजनों से भी अनुरोध है कि 23/8/19 को ही अर्द्धरात्रि तक कीर्तन,प्रसाद, चरणामृत की व्यवस्था करें।

जो व्रत 24 अगस्त को कहता है ।वह शायद यह नहीं जानता कि 24 तारिक को अष्टमी दिन में नही है। फिर नवमी लग जाएगी और नवमी का चन्द्रोदय मान्य नहीं है।

जय श्री कृष्ण हरे
भगवान सबका भला करें

When Is Krishna Janmashtami 2019 Date Day Pooja Muhurat Time
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जन्माष्टमी व्रत-उपवास की महिमा

जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए, बड़ा लाभ होता है।
इससे सात जन्मों के पाप-ताप मिटते हैं।

🙏🏻 जन्माष्टमी एक तो उत्सव है, दूसरा महान पर्व है, तीसरा महान व्रत-उपवास और पावन दिन भी है।

‘वायु पुराण’ में और कई ग्रंथों में जन्माष्टमी के दिन की महिमा लिखी है। ‘जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है’- ऐसा भी लिखा है और जो उपवास करता है, जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियाँ तार लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है। इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह वाले या कमजोर लोग भी पूरा व्रत रखें।

बालक, अति कमजोर तथा बूढ़े लोग अनुकूलता के अनुसार थोड़ा फल आदि खायें।

जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है।

उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है। जिसको क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का और अपने गुरु मंत्र का थोड़ा जप करने को भी मिल जाय, उसके त्रिताप नष्ट होने में देर नहीं लगती।

‘भविष्य पुराण’ के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत संसार में सुख-शांति और प्राणीवर्ग को रोगरहित जीवन देनेवाला, अकाल मृत्यु को टालनेवाला, गर्भपात के कष्टों से बचानेवाला तथा दुर्भाग्य और कलह को दूर भगानेवाला होता है।

When Is Krishna Janmashtami 2019 Date Day Pooja Muhurat Time
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विष्णुजी के सहस्र दिव्य नामों की तीन आवृत्ति करने से जो फल प्राप्त होता है; वह फल ‘कृष्ण’ नाम की एक आवृत्ति से ही मनुष्य को सुलभ हो जाता है। वैदिकों का कथन है कि ‘कृष्ण’ नाम से बढ़कर दूसरा नाम न हुआ है, न होगा। ‘कृष्ण’ नाम सभी नामों से परे है। हे गोपी! जो मनुष्य ‘कृष्ण-कृष्ण’ यों कहते हुए नित्य उनका स्मरण करता है; उसका उसी प्रकार नरक से उद्धार हो जाता है, जैसे कमल जल का भेदन करके ऊपर निकल आता है। ‘कृष्ण’ ऐसा मंगल नाम जिसकी वाणी में वर्तमान रहता है, उसके करोड़ों महापातक तुरंत ही भस्म हो जाते हैं। ‘कृष्ण’ नाम-जप का फल सहस्रों अश्वमेघ-यज्ञों के फल से भी श्रेष्ठ है; क्योंकि उनसे पुनर्जन्म की प्राप्ति होती है; परंतु नाम-जप से भक्त आवागमन से मुक्त हो जाता है। समस्त यज्ञ, लाखों व्रत तीर्थस्नान, सभी प्रकार के तप, उपवास, सहस्रों वेदपाठ, सैकड़ों बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा- ये सभी इस ‘कृष्णनाम’- जप की सोलहवीं कला की समानता नहीं कर सकते।

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