गुजरात सरकार ने कुछ दोषियों की रिहाई का किया विरोध, अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी
गुजरात सरकार ने 2002 के गोधरा दंगों में 15 पत्थरबाजों की रिहाई का सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया था। गुजरात सरकार ने अदालत को बताया कि वे सिर्फ पथराव करने वाले नहीं थे और उनकी हरकतें लोगों को जलती हुई बोगियों से नहीं बचा सकतीं।
27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई और राज्य में दंगे भड़क उठे। यह मामला शुक्रवार को पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, जिसमें सरकार ने कहा कि यह सिर्फ पथराव का मामला नहीं है. इन लोगों की हरकतों से लोगों की जान चली गई।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि दोषी 17-18 साल से जेल में हैं। गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन दोषियों ने ट्रेन पर पथराव किया जिससे लोग जलते डिब्बे से बच नहीं सके. उन्होंने पीठ से कहा कि यह सिर्फ पथराव का मामला नहीं है।
उन्होंने पीठ से कहा कि वह इन दोषियों की व्यक्तिगत भूमिका की जांच करेंगे और इसके बारे में पीठ को सूचित करेंगे। खंडपीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 15 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की। अक्टूबर 2017 के अपने फैसले में, उच्च न्यायालय ने गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।