कहानी भण्डार – मुझे विश्वास है कि आप रोंदू वीना की तरह नहीं है और स्कूल में काफी मज़े करते है
एक समय एक वीना नाम की एक छोटी लड़की रहती थी। वह बहुत छोटी सी प्यारी बच्ची थी, जो अपने माता पिता, बहन और छोटे भाई, अपने पालतू कुत्ते और अपनी पसंदीदा गुड़िया को बहुत प्यार करती थी। वीना बहुत खुश रहती थी। जब वीना चार साल की हुई तो उसके माता पिता ने गंभीर बात करते हुए कहा कि अब वीना का स्कूल जाने का समय आ गया है। माता पिता की यह बात सुनकर वीना को बहुत मज़ा आया।
वीना की बहन हमेशा स्कूल जाती थी। स्कूल जाते समय उसकी माँ उसके खाने के डिब्बे में बहुत स्वादिष्ट चीज़े देती थी और जब वीना की बहन स्कूल से वापिस आती थी तो उसके कपड़ों और हाथों पर पेंट के निशान होते थे। स्कूल जाने के लिए वीना अपने माता पिता के साथ शॉपिंग लिस्ट बनाकर शॉपिंग करने गई।
अगली सुबह छोटी सी वीना जल्दी उठ गई और उसने अपनी दो नई ड्रेस में से एक ड्रेस पहनी। वह सुंदर लग रही थी। वीना अपने छोटे भाई को बाय बाय करके स्कूल के लिए निकल पड़ी। उस दिन वह अपने आपको बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण समझ रही थी। स्कूल के गेट बहुत बड़े थे। गेट पर पुलिस के जैसे दिखने वाला एक आदमी खड़ा था, जो सिर्फ बच्चों को गेट के अंदर जाने दे रहा था और उनके माता पिता को वह गेट के बाहर ही रोक देता था। वीना को वह आदमी पसंद नहीं आया और उसने अपनी माँ का हाथ कसकर पकड़ लिया। वीना की बड़ी बहन ने मम्मी पापा को प्यार किया और वह स्कूल के अंदर चली गई। लेकिन वीना को खुशी नहीं हुई। उस समय वह अपने आपको बड़ा और महत्वपूर्ण भी नहीं समझ रही थी। वीना के पेट में दर्द होने लगा। उसके माता पिता उसे गेट तक छोड़ने गए। उधर खड़ी एक आंटी ने वीना के हाथ पकड़े। वीना ने उस आंटी के केले जैसे लंबे हाथों को अपने हाथ पकड़े हुए देखा। वीना को लगा कि उसकी माँ उसे यहाँ छोड़कर चली जाएगी। उसे लगा कि उसे ज़बरदस्ती बड़े गेट के अंदर भेजा जा रहा है और गेट बंद होने के बाद वह अपने माता पिता से अलग हो जाएगी।
वीना रोने लगी।
उसने अपने माता पिता को आवाज़ दी। उन्हें क्या हुआ है? वह बाहर खड़े देखते रहे कि किस तरह वह आंटी वीना को स्कूल के अंदर ले जा रही थी। वीना को स्कूल बिल्कुल पसंद नहीं आया। वह स्कूल में कहानियां सुनने के दौरान भी रोती रही। उसने रोते हुए गाना ळा नहीं गाया और रोने के कारण उसने झूले भी नहीं झूले। घर जाने के समय तक वह रोती रही। यही सब बातें अगले दिन भी जारी रही। कोई भी वीना को चुप नहीं करवा सका। बाकी सभी बच्चों को स्कूल बहुत पसंद आया। बच्चे आराम से कहानियां सुनते थे, अपनी प्यारी प्यारी आवाज़ों में गाना गाते थे, मज़े से झूले झूलते थे। अपनी रोती हुई आंखों से वीना दूसरे बच्चों को मज़ा करते हुए देखती थी। उसे लगता था कि बाकी बच्चे उसकी तरह क्यों नहीं रोते। उसने अपने मन में सोचा कि शायद स्कूल इतना भी बुरा नहीं है।
अगले दिन, वीना कहानी सुनने और गाने के दौरान रोती रही लेकिन उसने मज़े से झूले झूले। झूले झूलने के दौरान वह रोई नहीं और वह ऊपर तक झूला झूलने लगी। यह बहुत मज़ेदार है।
वीना को झूला झूलते देख दूसरे बच्चे बोले, ‘वीना को देखो, यह हमारे से ऊपर झूला झूल रही है।’ बच्चों की बातें सुनकर वीना बहुत खुश हुई। अगले दिन वह कहानी सुनते हुए रोई लेकिन उसे खुशी खुशी गाना गाया। अध्यापिका ने कहा, ‘वीना की आवाज़ कितनी बढ़िया है।’ अध्यापिका की बात सुनकर वीना और खुश हो गई।
इसके बाद वीना ने रोना बन कर दिया और उसे स्कूल में मज़ा आने लगा और फिर वह बड़े गेट्स से बिल्कुल भी नहीं ढरती थी।
मुझे विश्वास है कि आप रोंदू वीना की तरह नहीं है और स्कूल में काफी मज़े करते है।