सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किसके लिए छोड़ा था प्रधानमंत्री का पद और क्यों जानें
देश के पहले उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के एक छोटे से गांव नडियाद में हुआ था। उनका निधन 15 दिसंबर, 1950 को हुआ। पटेल को देश का लौह पुरुष कहा जाता है उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है।
देश के पहले गृह मंत्री (Home Minister) और उप प्रधानमंत्री पटेल को आईएएस और केंद्रीय सेवाओं का जनक कहा जाता है। सरदार पटेल अपने शुरुआती दिनों में एक वकील भी थे।
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वे कमजोर मुकदमे को भी सटीकता से पेश करते थे। वे गांधी से बेहद प्रभावित थे, साल 1917 में गाधी से प्रभावित होकर वे आजादी के आंदोलन की ओर मुड़ गए।
साल 1946 में आजादी से पहले तय हो चुका था,कि कांग्रेस (Congress) का अध्यक्ष ही देश का प्रधानमंत्री होगा। उस वक्त कांग्रेस की कमान मौलाना आजाद के हाथ में थी, लेकिन महात्मा गांधी ने उन्हें मना कर दिया था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ये फैसला लिया
गांधी ने प्रधानमंत्री के लिए नेहरू का समर्थन किया था, नेहरू को गांधी का समर्थन होने के बाद भी देश से समर्थन नहीं मिला और सरदार पटेल को 15 में से 12 राज्यों को समर्थन हासिल हुआ।
इस वक्त गांधी को लगा कि ऐसे में कांग्रेस टूट न जाए. अंग्रजों को एक और बहाना मिल जाएगा. सरदार पटेल ने गांधी (Gandhi) के सम्मान में अपना नामांकन वापस ले लिया।
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