centered image />

भारत में पाई जाने वाली प्रमुख निजी वित्तीय संस्थाएं निम्नलिखित है, पढ़ें

0 614
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

(1) साहूकार-

साहूकार या महाजन वह व्यक्ति है जो अपने ग्राहकों को समय समय पर ऋण उपलब्ध कराता है। साहूकार दो प्रकार के होते हैं- (अ) कृषक साहूकार या जमींदार तथा (ब) व्यवसायिक साहूकार। कृषक साहूकार वह व्यक्ति कहलाते हैं जो मुख्य रूप से कृषि करते हैं लेकिन धनवान होने के कारण, धन उदास देने का कार्य सहायक व्यवसाय के रूप में करते हैं। व्यवसायिक साहूकार में व्यक्ति कहलाते है, जिन का मुख्य व्यवसाय धन उधार देना ही होता है। साहूकारों के कार्य करने का तरीका बहुत सरल होता है। यह अल्पकालीन, मध्यकालीन व दीर्घकालीन तीनों प्रकार के ऋण देते हैं। ऋण जमानत लेकर और बिना जमानत लिये दोनों प्रकार के होते हैं।

(2) जमींदार-

जमींदार बड़े भू-स्वामी होते थे। इनका कार्य किसानों से लगान वसूल करना था। यह किसानों से लगान वसूल करके सरकार को देते थे। जमींदार आवश्यकता पड़ने पर किसानों को उनकी आवश्यकता पूर्ति के लिए ऋण दिया करते थे। इनके द्वारा किसानों को दिए गए ऋणों पर ब्याज की दर बहुत ऊंची होती थी। इनके द्वारा प्रदत्त ऋणों की शर्तें भी कठोर होती थी। यह ऋण वसूली में निर्दयता का व्यवहार करते थे, जिससे किसानों का शोषण होता था। फलस्वरूप सभी राज्यों ने कानून बनाकर जमीदारी प्रथा को पूर्णत: समाप्त कर दिया परंतु वर्तमान समय में भी जमींदारों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण देने का काम किया जाता है।

(3) स्व- सहायता समूह-

स्व-सहायता समूह गरीब व्यक्तियों का एक स्वैच्छिक संगठन है। अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। यह समूह अपने सदस्यों के बीच छोटी-छोटी बचतो को बढ़ावा देता है। इन बचतो को बैंक में जमा किया जाता है। बैंक के जिस खाते में यह राशि जमा की जाती है, वह खाता समूह के नाम होता है। सामान्यतः एक समूह के सदस्यों की अधिकतम संख्या 20 होती है।

(4) चिटफंड-

दक्षिण भारत के गांवों में यह बहुत लोकप्रिय है। यहां यह संगठित एवं असंगठित दोनों रूपों में संचालित है। चिटफंड भारत में पाई जाने वाली एक प्रकार की बचत योजना है। इसमें निर्धारित संख्या में सदस्य बनाए जाते हैं। यह सदस्य पूर्व निर्धारित समय अंतराल के बाद एक निश्चित स्थान पर एकत्रित होकर, तयशुदा धनराशि एक स्थान पर एकत्रित करते हैं। फिर इस एकत्रित धनराशि की सदस्यों के बीच नीलामी की जाती है। इस नीलामी में जो सदस्य सबसे ऊंची बोली लगाता है, उसे एक त्वरित धनराशि सौंप दी जाती है।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.