centered image />

भारत के 7 रहस्यमय स्थान जिन्हें वैज्ञानिक सुलझाने में असमर्थ रहे

0 797
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

सोने की चिड़िया कहे जाने वाली भारत को एक रहस्यमय तंत्र मंत्र वाला देश भी माना जाता है हिन्दुकुश पर्वतमाला से लेकर अरुणाचल तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश में कई रहस्य दफन है हालांकि की समय के साथ-साथ भारत विज्ञान और तकनीकी में भी विकसित होता चला गया लेकिन भारत में आज भी कई ऐसी जगह है जो अपने दामन में कई रहस्यों को समेटे हुए हैं जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे

अजंता एलोरा की गुफाएं

गुफाएं भारत में बहुत है लेकिन अजंता एलोरा की गुफाओं के बारे में वैज्ञानिक कहते हैं कि यह गुफाएं किसी एलियंस के समूह ने बनाई है यहां पर एक विशालकाय कैलाश मंदिर है पुरातत्त्ववेत्ता के अनुसार से कम से कम 4 हजार वर्ष पूर्व बनाया गया था 40 लाख टन की चट्टानों से बनाए गए इस मंदिर को किस तकनीक से बनाया गया होगा ये आज भी रहस्य बना है 4 हजार वर्ष पूर्व तो क्या आज की आधुनिक इंजीनियरिंग के जरिए ऐसी गुफा का निर्माण नही किया जा सकता माना जाता है एलोरा की गुफाओं के अंदर नीचे एक सीक्रेट शहर बसा हुआ है

कमरुनाग झील

हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों के बीच एक ऐसी झील मौजूद है जहां लाखों करोड़ों नहीं है बल्कि इससें कहीं अधिक मूल्य का खजाना मौजूद है झील में हर साल खजाना बढ़ता चला जाता है जिसमें लाखों रुपए ऊपर से देखे जा सकते हैं यह झील मंडी जिले से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर है जिसे कमरूनाग झील के नाम से जाना जाता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भक्त झील में सोने चांदी के गहने और पैसे डालते हैं सदियों से चली आ रही परंपरा के आधार पर माना जाता है कि झील के गर्त में अरबों का खजाना दबा है गर्मी के मौसम में सोना चांदी के जेवर साफ नजर आते हैं मान्यता यह है कि झील में सोना चांदी चढ़ाने से मन्नत पूरी होती है इसी कारण लोग श्रद्धा से यहां अपने शरीर का कोई गहना चढ़ा देते है ये सोना चांदी कभी भी झील से निकाला नहीं जाता क्योंकि लोग इसे ईश्वर के खजाने के रूप में देखते हैं कोई भी इस खजाने को चुरा नहीं सकता क्योंकि माना जाता है कि कमरूनाग झील में खामोश प्रहरी इसकी रक्षा करते हैं।

वृंदावन का रंग महल

उत्तर प्रदेश की वृंदावन में स्थित ये मंदिर आज भी अपने में कई रहस्य समेटे हुए हैं माना जाता है कि यहां आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते हैं यही कारण है कि सुबह खुलने वाले निधिवन को शाम की आरती के बाद बंद कर दिया जाता है उसके बाद वहां पर आना जाना मना है यहां तक कि दिन में रहने वाले पशु पक्षी भी शाम होते-होते निधिवन को छोड़ कर चले जाते हैं कहां जाता है कि यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह पागल हो जाता है निधिवन के अंदर ही रंग महल मौजूद हैं मान्यता है कि रोज रात रासलीला के बाद राधा कृष्ण यही पर विश्राम करते हैं रंग महल में रखें चंदन के पलंग को राधा और कन्हैया के लिए शाम को 7 बजे से पहले सजा दिया जाता है पलंग के बगल में एक लोटा पानी और राधा जी के श्रृंगार का सामान दातुन और पान रखा दिया जाता है इसके बाद रंग महल के दरवाजे पर 7 ताले जड़ दिए जाते हैं सुबह 5 बजे जब रंग महल का दरवाजा खोलते हैं तो बिस्तर अस्त-व्यस्त और लोटे का पानी खाली और पान खाया हुआ मिलता है निधि वन के पेड़ भी बड़े अजीब है जहां एक और हर पेड़ की शाखाएं ऊपर की ओर बढ़ती है वही निधि वन के पेड़ की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती है हालत यह है कि रास्ता बनाने के लिए पेड़ों को डांडो के सहारे रोका गया है

रूपकुंड झील

कंकाल झील के नाम से मशहूर इस झील को रहस्यमई झील के रूप में जाना जाता है रूपकुंड झील हिमालय पर लगभग 5029 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है अगर आप यहां पर जाते हैं तो इस दिव्या कुंड अर्थात गहराई और चारों ओर बिखरे नरकंकाल मन में कौतूहल व जिज्ञासा का ज्वार उत्पन्न कर देते हैं रुपकंड के रहस्य का प्रमुख कारण ये नरकंकाल ही तो है जो न केवल इसके इर्द गिर्द दिखते हैं बल्कि तालाब में इनकी परछाइयां भी दिखाई देती है नरकंकाल को लेकर क्षेत्रवासियों में अनेक प्रकार की कि्रवदंतियां प्रचलित है वर्षों से इतिहास कालीन कंकालों के रहस्य का पता लगाने में जुटे हैं लेकिन अब तक तो कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है इन कंकालों को सबसे पहले साल 1942 में ब्रिटिश फारेस्ट गार्ड ने देखा था शुरुआत में माना जा रहा था की यह नर कंकाल उन जापानी सैनिकों के थे जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान रास्ते से गुजर रहे थे लेकिन अब वैज्ञानिकों को पता चला है कि यह कंकाल 850 ईसवी में यह आए श्रद्धालुओ और स्थानीय लोगों के है शोध से खुलासा हुआ कि कंकाल मुख्य रूप से दो समूह के हैं इनमें से कुछ कंकाल एक ही परिवार के सदस्यों के लोगों के है जब की दूसरा समूह अपेक्षाकृत कद में छोटे लोगों का है शोधकर्ताओं का कहना है कि लोगों की मौत किसी हथियार चोट से नहीं बल्कि उनके सिर के पीछे आए घातक तूफान की वजह से हुई है खोपड़ीओं के फैक्चर के अध्ययन से पता चला है कि मरने वाले लोगों के ऊपर क्रिकेट के गेंद जैसे बड़े ओले गिरे थे

द कोंग्का ला दर्रा

दुनिया की सबसे रहस्यमई इलाकों में से एक है लद्दाख का द कोंग्का ला दर्रा जिसके बारे में कहा जाता है कि यह अंतरिक्ष जीवो का गुप्त स्थान है और इसी कारण यहां पर कई बार यूएफओ के देखे जाने की बात सामने आई है स्थानीय नागरिक भी इन बातों की पुष्टि करते हैं वही 2006 के जून महीने में भी गूगल की सेटेलाइट से इस जगह की कुछ ऐसी तस्वीरें ली थी जिनमें रहस्यमय यूएफओ दिखाई देने का जिक्र है लेकिन इस जगह जाना सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि यह बहुत ही बर्फीला और दुर्गम क्षेत्र है और सबसे बड़ी बात यह है कि यह भारत चीन की विवादित जगह भी है जहां पर दोनों नजर रखते हैं लेकिन कोई भी जाने की हिम्मत नहीं करता।

चुंबकीय पहाड़ी

लेह-लद्दाख की खूबसूरती किसी से छिपी नहीं है लेकिन एक रहस्य ऐसा भी है जिसे देखने हजारों की तादाद में सैलानी पहुंचते हैं लेह के लिए जाते समय रास्ते में चुंबकीय ताकत वाला पहाड़ मिल सकता है यह एक ऐसा पहाड़ है जो धातु को अपनी ओर खींचता है जब कारों का इग्निशन बंद कर दिया जाता है तब भी कारे इसकी ओर खिंची चली आती है यानी कि आप गाड़ी को न्यूटल में कर दे तो पहाड़ी से नीचे जाने की बजाये ऊपर की ओर चढ़ने लगती है इसे दुनिया की ग्रेविटी हिल्स में गिना जाता है

जुड़वा बच्चों का गांव

केरल के मल्लापुरम जिले में स्थित कोडिन्ही गांव में जुड़वा बच्चें का जन्म होना आम बात है इस इलाके में दशकों से जुड़वा बच्चे ही पैदा होते हैं गांव में घर, स्कूल, बाजार हर जगह हमशक्ल नजर आते हैं कोडिन्ही गांव में लगभग 2 हजार परिवार रहते हैं और सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस गांव में 250 जुड़वा बच्चे हैं वही विशेषज्ञों के अनुसार इस गांव में 350 से अधिक जुड़वा बच्चे रहते है हर साल जुड़वा बच्चों की संख्या बढ़ती चली जाती है इसके पीछे के कारणों को कोई अभी तक जान नहीं पाया है जिसके चलते ये गांव चिकित्सकों व शोधकर्ताओं के लिए रहस्य और दुनिया भर की मीडिया के लिए खबर बना है जुड़वा लोगों में सबसे उम्रदराज 64 साल के बुजुर्ग से लेकर 6 महीने के बच्चे तक शामिल है अब तो इस इलाके में त्रिक यानी तीन बच्चों का भी एक साथ जन्म होना शुरू हो गया है एक और विशेष बात यह है कि यदि इन जुड़वा बच्चों में से कोई एक बीमार होता है तो दूसरा भी अवश्य बीमार हो जाता है इसलिए एक बच्चे की बीमार होने पर डॉक्टर दोनों बच्चों को दवाई देने के लिए कहते हैं शोधकर्ताओं को लगता है कि महिलाओं के खानपान की वजह से इस तरह का प्रचलन आम बात है मगर इस शोध के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाए हैं

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.