क्या आप जानते हैं ,क्यों नहीं बनवाया जाता इस भगवान का मंदिर
एक बार ब्रह्मा जी ने सोचा की धरती की भलाई के लिए यज्ञ किया जाये,यज्ञ के लिए जगह की तलाश करनी थी। उन्होंने कमल के फूल को धरती लोक की ओर भेज दिया। यज्ञ के लिए ब्रह्मा जी यहां पहुंचे। लेकिन उनकी पत्नी सावित्री वक्त पर नहीं पहुंच पाईं। यज्ञ का समय निकल रहा था। ब्रह्मा जी ने एक स्थानीय बाला से शादी कर ली और यज्ञ में बैठ गए। सावित्री थोड़ी देर से पहुंचीं। लेकिन यज्ञ में अपनी जगह पर किसी और औरत को देखकर गुस्से से पागल हो गईं। उन्होंने ब्रह्मा जी को शाप दिया कि जाओ इस पृथ्वी लोक में तुम्हारी कहीं पूजा नहीं होगी। सावित्री के इस रुप को देखकर सभी देवता लोग डर गए। उन्होंने उनसे विनती की कि अपना शाप वापस ले लीजिए। लेकिन उन्होंने नहीं लिया। जब गुस्सा ठंडा हुआ तो सावित्री ने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में आपकी पूजा होगी। कोई भी दूसरा आपका मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा।यहां के पंडित तक अपने घरों में ब्रह्मा जी की तस्वीर नहीं रखते। कहते हैं कि जिन पांच दिनों में ब्रह्मा जी ने यहां यज्ञ किया था वो कार्तिक महीने की एकादशी से पूर्णिमा तक का वक्त था। और इसीलिए हर साल इसी महीने में यहां इस मेले का आयोजन होता है। ये है तो एक आध्यात्मिक मेला लेकिन वक्त के हिसाब से इसका स्वरूप भी बदला है। कहा ये भी जाता है कि इस मेले का जब पूरी तरह आध्यात्मिक स्वरूप बदल जाएगा तो पुष्कर का नक्शा इस धरती से मिट जाएगा। वो घड़ी होगी सृष्टि के विनाश की।पूरे भारत में केवल एक यही ब्रह्मा जी का मन्दिर है। वो है पुष्कर में,ऐसा भी कहा जाता है की जिसने भी ब्रह्मा जी के मंदिर बनवाने की कोशिश कि या वो पागल हो गया या मर गया।