जौ कि दृष्टि मान्द्य, निसियां और मस्तिष्क की दुर्बलता, के लिए अनुपम वस्तु है
मस्तिष्क की दुर्बलता
कारण -रक्त की न्यूवता, अधिक मानसिक परिश्रम, बहु-मैथुन, हदृय की निर्बलता से दिमाग कमजोर हो जाता हे।
चिन्ह-दृष्टि मद हो जाती है, कानों में बाजे से बजते है, सिर के पृष्ठ भाग में पीड़ा रहती है। मस्तिष्क की दुर्बलता दूर करने के लिए निम्नलिखित प्रयोगों मे जो अनुकुल पडे, बनाकर सेवन करें।
मस्तिष्क बलदाता घी
जौ कि दृष्टि मान्द्य, निसियां और मस्तिष्क की दुर्बलता के लिए अनुपम वस्तु है।
मस्तिष्क की दुर्बलता और विशेष कर दृष्टि मान्द्य को दूर करने के लिए इस घी का इस्तेमाल बहुत गुणकारी सिद्ध होता है। यद्यपि इसके गुण तनिक देर से प्रकट होते है किन्तु खाने वाले ही जानते है कि इसके गुण कितने उत्तम
स्थाई होते है। इसके निरन्तर सेवन से दृष्टि अत्यन्त ती्रव हो जाती है और फिर विशेषता यह कि साधारण घर से इस्तेमाल होने वाली चीज है।
प्रयोग-एक सेर उत्तम गौ घृत में आधपाव लड्डू गुड़ कूट कर डाल दें और मन्द-मन्द अग्नि पर पकाते रहे। पहले गुड़ नीचे बैठ जाएगा किन्तु बाद में ऊपर आना आरम्भ होगा, यहां तक कि तमाम गुड़ ऊपर तैर आवेगा, परन्तु अभी
इसमें चेप बाकी होगा इसलिए कुछ देर और पकने दे। जब देखे कि पकते 2 चेप दूर हो गया है और गुड़ लाख की भान्ति का होने लगा है सब उसे तत्काल अग्नि पर से उतार लें (असवाधानी से देर हुई तो घी कडवा हो जाएगा) और गुड़
को घृत से पृथक कर लें (इसे बालक बताशो की तरह खा जाते है) और घृत को किसी शुद्ध पात्र में सुऱिक्षत रखें।
घर में साधारणता जो घृत इस्तेमाल होता है, यदि उसे इसी प्रकार से बनाकर सेवन किया जाए तो कुटुम्ब भर की दृष्टि ती्रव हो जाएगी। कोई हानिकारक द्रव्य नही है और न अधिक लागत की चीज है। केवल घी को साधारणता साफ
करना है इसके गुणों का वर्णन करने की शक्ति जड़ लेखनी में नहीं है।