भजन लाल स्वर्ग के दर्शन की एक छोटी सी अद्भुत कहानी
भजन लाल मरने के बाद स्वर्ग पहुँचा, परमेश्वर के साथ उसकी अपॉइन्मेंट होने ही वाली थी कि दफ्तर के बाहर बैठी रेसेप्निस्ट अप्सरा ने उसे वेटिंग रूम में इंतज़ार करने को कहा। अचानक कुर्सी पर बैठे दुर्जन सिंह पर उसकि नज़र
पड़ी जो वहां बैठकर सोमरस का मज़ा ले रहा था।”ये झोपड़ी वाला तो जरूर ही नरक मैं जाएगा। इसने न तो कभी पूजापाठ किया और न ही कभी किसी तरह का दानपुण्य किया। जिंदगी भर पैसे के पीछे भागता रहा और भोग विलास में
लगा रहा। आज इसका हिसाब होगा, हाहाहा! नरक की भट्टी में जलेगा ये।” भजन लाल की अंतरात्मा के अंदर से आवाज आयी।कुछ देर रुकने के बाद दुर्जन सिंह को बुलाया गया। लेकिन ये क्या! उसे अनंतकाल के लिए फर्स्टक्लास का
टिकट दे दिया गया। भजन लाल की आत्मा जो अब क्रोध से सड़े टमाटर से भी जादा लाल हो गयी थी , खुद को दिलासा देते हुये बोली – निश्चिच ही परमेश्वर न्यायपूर्ण नहीं दयावान होगा, तभी तो इस पापी को फर्स्टक्लास का टिकेट दे
दिया। तो सोचो भजनलाल!! तुम्ने तो रात दिन बस उसी का नाम लिया। तुम्हे तो एक-दो काम धेनु और 10-12 कल्पवृक्ष मिल ही जायेंगे।मन ही मन मुस्कुराता भजन लाल अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था तोतभी लौड़सपीकर से
आवाज आयी”भजनलाल कम इन!”इतना सुनते ही सर पर पैर रखकर भजन लाल अंदर गया।” ये लो थर्ड क्लास का टिकट एंड इंजॉय द हेवन फ़ॉर अनंतकाल!” परमात्मा बोले।” व्हाट दा हक्क इस डिस?” उस दुर्जन सिंह को फर्स्ट
क्लास और मुझे थर्ड क्लास?? क्या इसी लिए मैंने रात-रात भर जगराते किये। क्या इसी लिये मैंने सारे रिश्ते नाते तोड़कर सिर्फ तेरे ही नाम के भजन कीर्तन किये? क्या तू वो दिन भी भूल गया जब हर रोज़ कड़कती ठंड में भी मैं सुबह
गंगा स्नान के बाद तेरे द्वार पर तेरा स्तुतिगान किया करता था?और तूझे मेरे साथ ऐसा करने मे बिल्कुल दया नही आयी जो मूझे थर्ड क्लास और उस दुस्तात्मा, उस पकोड़ी वाले दुर्जन सिंह को फर्स्टक्लास के साथ साथ न जाने और
क्या क्या दे दिया, जिसने न कभी तेरा नाम लिया ही नही, बल्कि जो तुझे मानता ही न था।बता! क्या सेटिंग है तेरी इसके साथ।” एक सांस में किसी प्रोफेसनल रैपर की तरह चिल्लाते हुये भजन लाल ने अपनी सारी बात कह दी।”
उसको तो फर्स्ट क्लास मिलना ही था क्योंकि उसने मुझसे कभी कुछ मांगा ही न था। हमेसा अपने काम से काम रखा । लेकिन क्या तू सच कह रहा हैं ?क्या तू वही वाला भजन लाल है जिसने रात-दिनसुबह शाम बस मेरा ही नाम
लिया। जो हर रोज़ सुबह सुबह मेरे द्वार पर आकर घंटा बजाया करता था।” “हाँ मैं वही हूं। “” अरे मुझे तो बड़ी गलती हो गयी थी। मैं तो तुम्हे दूसरा वाला भजनलाल समझ बैठा।”” तो मुझे भी अब फर्स्ट क्लास स्वर्ग में जगह मिलेगी
ना?””एक मिनट!सेक्रेटरी! निकालो इसे अभी बाहर, और तुरंत ही नरक वाले डिपार्टमेंट में इसका ट्रांसफर कर दो। जीते जी तो इसने कभी मुझे सोने न दिया, रात भर गाला फाड़ फाड् कर इसमे मेरे कान फोड़ दिए और सुबह सूरज उगने
से पहले ये रोज़ घंटा बजाकर मेरी नींद हराम कर देता था। निकालो इसे मेरे दफ्तर से।”