मकर संक्रांति का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है?, जानिए इतिहास और कहानी

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सनातन धर्म में मकर संक्रांति के पर्व को बहुत महत्व दिया गया है। मकर संक्रांति का दिन सूर्य देव को समर्पित है इसलिए इस दिन सूर्य देव की पूजा करने की परंपरा है।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी 2024 को आ रहा है। जो व्यक्ति इस दिन सूर्य भगवान की पूजा करता है उसे सूर्य भगवान की कृपा प्राप्त होती है। मकर संक्रांति का त्यौहार वसंत ऋतु की शुरुआत और नई फसल की कटाई का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन गंगा और नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का भी बहुत महत्व है। आइए जानते हैं मकर संक्रांति पर्व की तारीख और इसके पीछे का इतिहास।

मकर संक्रांति का इतिहास

मकर संक्रांति के त्योहार का उल्लेख धार्मिक ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस त्योहार की शुरुआत वैदिक ऋषि विश्वामित्र से हुई मानी जाती है। इसके साथ ही मकरसंक्रांति का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान मकरसंक्रांति का त्योहार मनाया था। मकर संक्रांति के बारे में कई मिथक हैं।

मकर संक्रांति की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कपिल मुनि पर भगवान इंद्र का घोड़ा चुराने का आरोप लगा था। इससे क्रोधित होकर ऋषि ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को भस्म होने का श्राप दे दिया। फिर जब देवराज इंद्र ने ऋषि से इसके लिए माफी मांगी तब जाकर कपिल मुनि का गुस्सा शांत हुआ। तब उन्होंने इस श्राप को दूर करने के उपाय के रूप में माँ गंगा को धरती पर लाने को कहा। बाद में राजा सगर के पौत्र अंशुमान और राजा भगीरथ की कठोर तपस्या के बाद मां गंगा प्रसन्न हुईं और पृथ्वी पर प्रकट हुईं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त होने पर मकरसंक्रांति का त्योहार मनाया गया था।

मकर संक्रांति पूजा नियम

  1. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें।
  2. मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करने की परंपरा है।
  3. इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने और मंत्रों का जाप करने से शुभ फल मिलता है।
  4. इस दिन आपको जरूरतमंदों और गरीबों को दान या मदद करनी चाहिए।
  5. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और ऊनी वस्त्र दक्षिणा दें।
  6. यह दिन हवन और यज्ञ करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
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