डाकघरों में छोटी बचत जमा 5 साल में दोगुनी, जबकि बैंक जमा सिर्फ डेढ़ गुना, जानिए क्यों
बैंक और डाकघर अपने ग्राहकों को पैसे के लेन-देन और बचत के लिए उत्कृष्ट सुविधा प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016-17 तक बैंकों और डाकघरों की छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर 4% के बराबर थी। इससे डाकघर में बचत की राशि कम थी। लेकिन अगर वर्तमान की बात करें तो पोस्ट ऑफिस में छोटी बचत जमा 5 साल में दोगुने से भी ज्यादा हो गई है। जबकि बैंक जमा में केवल डेढ़ गुना वृद्धि हुई है। क्योंकि डाकघर में ब्याज दर बढ़ गई है।
इसके अलावा एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में डाकघरों की संख्या बैंकों से अधिक होने के कारण जमा राशि अधिक है। डाकघर की छोटी बचत योजनाएं बैंक जमाओं की तुलना में अधिक लोकप्रिय हो रही हैं। पिछले पांच वर्षों में छोटी बचत जमा दोगुनी हो गई है, जबकि बैंक जमा में केवल डेढ़ गुना वृद्धि हुई है। डाकघर में जमा राशि बढ़ने का मुख्य कारण उच्च ब्याज दर है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 में छोटी बचत जमाओं का बैंक जमाओं से अनुपात 4.4% था, जो 2021-22 में बढ़कर 5.8% हो गया है। इस बीच, कुल जमा में छोटी बचत योजनाओं की हिस्सेदारी कभी कम नहीं हुई। जमा बढ़ाने के लिए बैंक अभियान चला रहे हैं। तब यही स्थिति है। फरवरी 2022 तक, बैंकों में कुल जमा राशि 170.2 लाख करोड़ रुपये थी। इसकी तुलना में छोटी बचत जमा सिर्फ 99 लाख करोड़ रुपये थी। पिछले पांच वर्षों में बैंक जमा में रु। 55.4 लाख करोड़ की वृद्धि हुई है। जबकि छोटी बचत जमा में केवल रु. 4.6 लाख करोड़ की वृद्धि हुई है। लेकिन इस बीच कुल जमा में छोटी बचत योजनाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ी है।
इसीलिए 2016-17 से छोटी बचत योजनाएं लोकप्रिय हो रही हैं। वजह है.. उसकी दिलचस्पी। 2016-17 तक, बैंकों और डाकघरों की छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दर 4% थी। 2021-22 तक बैंकों की औसत जमा दरें घटकर 2.7% हो गई हैं, जबकि डाकघर की दरें 4% पर बनी हुई हैं। 2016-17 में बैंक और डाकघर दोनों 1 साल की बचत योजनाओं के लिए 6.8% की दर की पेशकश कर रहे थे। 2021-22 तक बैंकों की दरों को घटाकर 5.3% कर दिया गया, जबकि डाकघर की दरें 5.5% पर बनी रहीं।
बैंक ऑफ बड़ौदा की शोध विश्लेषक अदिति गुप्ता ने कहा कि देश के कुल 1.56 लाख डाकघरों में से 1.46 लाख (90% से अधिक) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। दूसरी ओर, कुल 1.51 लाख बैंक शाखाओं में से केवल 53,380 (35%) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।