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फांसी के दिन कैदी के साथ क्या होता है? जान कर चौंक जायेंगे आप

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फांसी के दिन कैदी के साथ क्या होता है?

मृत्युदंड प्राप्त कैदी को जेल नियम के अनुसार फाँसी पर लटकाया जाता है।

फाँसी की चरणबद्ध प्रक्रिया इस प्रकार है-

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what happens during hanging the prison?

जेल अधीक्षक कैदी और उसके परिजनों को फासी की तिथि की सूचना देता है। डेथ वारंट के ऑर्डर को कैदी को पढ़कर सुनाया जाता है।
कैदी की अंतिम इच्छा पूछी जाती है। अंतिम इच्छा में जेल प्रशासन किसी परिजन से मिलना, कोई स्पैशल डिश खाना तथा कोई धर्मग्रंथ पढ़ना आदि की अनुमति दे सकता है।
फाँसी से एक दिन पुर्व कैदी की मैडिकल जाँच की जाती है।
फाँसी के वक्त जेल सुपरिटेंडेंट, डिप्टी सुपरिटेंडेंट, असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट एवं मेडिकल आफिसर का उपस्थित रहना अनिवार्य है।
जिलाधिकारी द्वारा नियुक्त एक मजिस्ट्रेट कि उपस्तिथि भी अनिवार्य है क्युकि मजिस्ट्रेट ही डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करता है।

what happens during hanging the prison?

कैदी के धार्मिक विश्वास के मुताबिक उसके धर्म का एक पुजारी फाँसी स्थल पर मौजूद रहता है।
जेल सुपरिटेंडेंट की मौजूदगी में फाँसी देने से एक दिन पहले भी इंजीनियर फाँसी स्थल का निरीक्षण करता है। एक डमी फाँसी की सजा दी जाती है। कैदी के लिए रस्सी के दो फंदे रखे जाते हैं। उन पर मोम/मक्खन लगाया जाता है।
फाँसी के कुछ दिन पहले ही एक मेडिकल आफिसर लटकाने की गहराई का निर्धारण करता है। यह कैदी के वजन के आधार पर निर्धारित होती है।
फाँसी से पहले काले सूती कपड़े से कैदी के चेहरे को ढका जाना आवश्यक है।

what happens during hanging the prison?

जल्लाद कैदी को बीम के उस स्थल तक ले जाता है जहाँ पर फंदा उससे जुड़ा होता है। कैदी के हाथ सख्ती से बंधे रहते हैं और फंदा उसके गले में डाला जाता है।
कैदी के शरीर को 30 मिनट तक फंदे पर लटकाया जाता है। मेडिकल आफिसर द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद ही उसको उतारा जाता है।
यदि अंतिम संस्कार के लिए मृतक के रिश्तेदार लिखित रूप से आवेदन करते हैं तो जेल सुपरिटेंडेंट अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अनुमति प्रदान कर सकता है।
फाँसी की पूरी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सुपरिटेंडेंट इसकी रिपोर्ट जेल के इंस्पेक्टर जनरल (आइजी) को देता है।

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