टाइम पास : हंसों और हंसाओं का जमाना है
जोक्स
1. सेठ जी (नए नौकर से)- शाम लाल, देखो पूरा घर साफ कर दो।
नौकर- पूरा घर साफ हो चुका है।
सेठ जी- कुछ रह तो नहीं गया?
नौकर- बस, तिजौरी रह गई है। वह भी जल्दी ही साफ हो जाएगी।
- नौकर मालिक से- जब कोई ग्राहक सामान खरीदने आता है तो आपको कैसे पता चलता है कि ये प्रेमी प्रेमिका हैं या पति पत्नी?
मालिक- जो चुपचाप सामान खरीद लें वह प्रेमी-प्रेमिका, और जो सामान लेने में किच-किच करें, समझ लेना पति-पत्नी।
- पापा- सोनू, मोनू और गुड़िया, क्या तुमने अपनी बीमार माँ के काम में मदद की? मैं सुबह तुम्हें कहकर गया था ना?
सोनू- हाँ, मैंने सारी क्रॉकरी धो दी।
मोनू- मैंने सारी क्रॉकरी को कपड़े से पोंछा।
गुड़िया- और पापा मैंने सारे क्रॉकरी के टुकड़े उठाकर कूड़ेदान में डाले।
- दुकानदार- मैडम, आप अकसर मेरी दुकान पर जेवर देखती हैं लेकिन कभी लेकर नहीं जातीं।
महिला- मैं तो लेकर जाती हूँ, आपको पता नहीं चलता तो मैं क्या करूँ?
- रमेश और सुरेश बाज़ार में घूम रहे थे। तभी अचानक से बादल घिर आए और बारिश होने लगी। रमेश के हाथ में छाता था पर उसे खोलने के बजाए भीग रहा था।
सुरेश- अरे बेवकूफ, ये छाता क्यों नहीं खोल लेता? देख नहीं रहा बारिश हो रही है।
रमेश- मैं इसे खोल नहीं सकता।
सुरेश- क्यों?
रमेश- इसमें जगह जगह छेद हैं।
सुरेश- तो फिर इसे लाया ही क्यों?
रमेश- अरे मुझे क्या मालूम था कि बारिश होने लगेगी।
- पापा मुन्नी को समझा रहे थे- हमे तुम्हारे जितने थे तो हमें एक पैसा रोज़ जेब खर्च मिलता था। इसमें से एक पाई का हम चना खरीदते थे तो भी हमें इतना चना मिल जाता था कि पूरा खा नहीं सकते थे।
मुन्नी ने कहा- पापा, खा नहीं सकते थे तो हमारे लिए रख लिया होता।